आधार बढ़ाने खुल कर पिछड़ा कार्ड खेलेगी भाजपा

भुवनेश्वर (आरएनएस)। अन्य राज्योंं की तरह देश के पूर्वी-तटीय राज्योंं में भी कमल खिला कर पार्टी का सांगठनिक आधार बढ़ाने और वर्ष 2019 में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा अब खुल कर पिछड़ा कार्ड खेलेगी। राष्टï्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के मोदी सरकार के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए पार्टी ने विशेष प्रस्ताव पारित कर इस आशय का खुल कर संकेत दिया है। बैठक में पिछड़ा वर्ग को साधने केलिए इस फैसले को जम कर भुनाने और इससे संबंधित संविधान संशोधन बिल के राज्यसभा में लटकाने के लिए कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर लगातार हमला बोलने की रणनीति भी बनी। पार्टी ने प्रधानमंत्री के निर्देश के अनुसार इस फैसले को पिछड़ा वर्ग से जुड़ी जातियों तक सीधे पहुंचाने की भी रणनीति बनाई।
दरअसल बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में इस वर्ग के बढ़े समर्थन के बाद से ही भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ ने पिछड़ा वर्ग को नए सिरे से साधने की रणनीति बनाई। बीते चुनाव में वर्ष 2009 के मुकाबले भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी। हिंदी पट्टïी में यह बढ़ोत्तरी 6 फीसदी थी। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को महाराष्टï्र में इस वर्ग को 38 फीसदी तो हरियाणा में 40 फीसदी वोट मिले। इस वर्ग में अपने समर्थन का दायरा बढ़ाने के लिए ही संघ ने पहली बार मार्च 2015 में संभवत: पहली बार पिछड़ी जाति के बी भागय्या को शीर्षस्थ टीम में सह सरकार्यवाह बनाया। जबकि भाजपा ने भी ब्राह्मïण-बनियों की पार्टी की छवि को पीछे करने के लिए राज्यों में पिछड़ा नेतृत्व को तेजी से खड़ा करना शुरू किया। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस वर्ग में अपनी पैठ को और मजबूत बनाने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का मुद्दा कारगर साबित होगा।
बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को इसी वर्ग के वरिष्ठï सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने पेश किया। जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इसका समर्थन किया। पार्टी ने कहा कि पिछड़ा वर्ग को यह हक काकेलकर और उसके बाद मंडल आयोग की रिपोर्ट के बाद ही मिल जाना चाहिए था। मगर इस वर्ग के नाम पर राजनीति करने वाले दल महज वोट बैंक की राजनीति करते रहे।
यूं तो उज्जवला योजना का लाभार्थी बनने का मापदंड गरीबी रेखा से नीचे यापन करने वाला परिवार है। मगर मोदी सरकार ने इस योजना में भी इस वर्ग का ख्याल रखा। बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि कांग्रेस ने आरक्षण मामले में भी इस वर्ग को जमीनी स्तर पर 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिया। मगर उनके मंत्रालय ने इस योजना के तहत 27 फीसदी ओबीसी परिवार को गैस कनेक्शन मुहैया कराए। बजट सत्र में पार्टी के संसदीय दल की अंतिम बैठक में प्रधानमंत्री ने सांसदों और नेताओंं को इस फैसले पर पिछड़ा वर्ग से सीधा संवाद कायम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि प्रेस कांफ्रेंस-जनसभाओं के बदले सीधे इस वर्ग के प्रबुद्घ लोगों को कार्यक्रमों में बुला कर सम्मानित करें। यह भी कोशिश करें कि यह वर्ग खुद इस फैसले पर सांसदों-नेताओंं को सम्मानित करे। पीएम की सलाह के अनुरूप पार्टी ने इस मामले में जमीन स्तर पर कार्यक्रम करने की योजना बनाई है।