उप्र सरकार ‘मां ’ की मौत की सूचना देने वाले को क्यों देगी एक हजार रूपय

लखनऊ। उप्र सरकार गर्भवती माताओं की मृत्यु की जानकारी टोल फ्री नंबर पर देने वाले व्यक्ति को एक हजार रूपये देगी। सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आलोक कुमार ने बताया है कि यह व्यवस्था केवल वास्तविक मातृ मृत्यु के उन्ही मामलों के लिए होगा, जहाँ पहले से ही स्वस्थ्य विभाग को सूचना नहीं मिल रही हो। सरकार का मकसद गर्भावस्था, प्रसूति एवं गर्भपात के कारणों से सम्पूर्ण गर्भावस्था प्रसव अथवा गर्भपात के 42 दिनों के भीतर होने वाली मातृ मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द पाना है। राज्य स्तरीय टोल फ्री नम्बर-1800 180 1900 पर वास्तविक मातृ मृत्यु की जानकारी देने वाले व्यक्ति को 1000 रूपये दिये जायेगें। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं उनके परिवार के सदस्यों को यह प्रोत्साहन धनराशि नही मिलेगी। सरकार का मकसद गर्भवती माताओं के बारे में समाज को संवेदनशील बनाना भी है।  
आलोक कुमार ने बताया कि एनुअल हेल्थ सर्वे के बेस लाइन (2010-11) में उप्र का मातृ मृत्यु अनुपात 345 प्रति 1 लाख जीवित जन्म था। जो द्वितीय अपडेशन 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार यह घटकर 258 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उप्र ने वर्ष 2017 तक इसे 200 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार ने 2020 तक देश में मातृ मृत्यु दर को 100 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिये मातृ मृत्यु समीक्षा एक महत्वपूर्ण रणनीति है जो कि मातृ मृत्यु के विभिन्न कारणों एवं कारकों की जानकारी देती है। जिससे मृत्यु के कारणों को दूर करने में सहायता करती है। इसलिए जनसमुदाय से मातृ मृत्यु की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक जरूरी है। अभी तक मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिये आशा बहनों से 15 से 49 वर्ष की गर्भवती महिला मृत्यु की जानकारी 24 घंटे के अंदर मिलने पर उन्हे 200 रूपये दिये जाते है। इस व्यवस्था के बाद भी औसतन 30 से 40 प्रतिशत गर्भावस्था से संबंधित मौत की ही जानकारी मिल रही है।
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