जस्टिस दीपक मिश्रा बने देश के मुख्य न्यायाधीश

 

नई दिल्ली। जस्टिस जेएस खेहर रविवार को मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो गए और सोमवार को जस्टिस दीपक मिश्रा भारत के नये मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। जाने वाले और आने वाले दोनों ही मुख्य न्यायाधीशों के फैसले अहमियत के लिहाज से मील का पत्थर हैं।
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश और आधी रात में याकूब मेमन की फांसी पर मुहर के अलावा दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों को मौत की सजा देने का आदेश जस्टिस मिश्रा ने ही दिया था। जबकि जस्टिस खेहर एनजेएसी को रद करने के अलावा तीन तलाक व निजता के फैसलों के लिए हमेशा याद किये जाएंगे।
वैसे तो सामने आए हर केस में फैसला देना न्यायाधीश का कर्तव्य होता है लेकिन कुछ फैसले ऐसे होते हैं जो इतिहास रच देते हैं। उन्हीं में से एक था राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद करने का फैसला। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की नयी व्यवस्था देने वाले एनजेएसी कानून को असंवैधानिक ठहराने के लिए जस्टिस खेहर हमेशा याद किये जाएंगे।
फैसला देने वाले पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस खेहर ने बहुमत का फैसला लिखा था। जबकि एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई भी जस्टिस खेहर ने की थी लेकिन उसमें 3-2 के बहुमत से दिये गये फैसले में उनका नजरिया अल्पमत का था।बहुमत ने एक बार में तीन तलाक के प्रचलन को निरस्त कर दिया है जबकि स्वयं और जस्टिस अब्दुल नजीर की ओर से अल्पमत का फैसला लिखते हुए जस्टिस खेहर ने इसे असंवैधानिक ठहराने से इन्कार कर दिया था। उनका कहना था कि ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता। हालांकि उन्होंने सरकार से कानून बनाने की संस्तुति की थी और तब तक के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी थी। देश के नागरिकों को निजता का मौलिक अधिकार देने वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई भी जस्टिस खेहर ने की थी। सर्वसम्मति से दिये गए इस फैसले के लिए जस्टिस खेहर हमेशा याद रखे जाएंगे। आठ महीने का मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल पूरा करके वे रविवार को सेवानिवृत्त हो गए।