आयोजकों के कारण फ्लाप हो गया पुस्तक मेला

 

नई दिल्ली। वार्षिक पुस्तक मेला इस बार उतना सफल नहीं रहा। पुस्तक विक्रेताओं की शिकायत है कि एक कथित बाबा को दोषी ठहराए जाने के बाद भडक़ी हिंसा से लेकर जीएसटी की वजह से कीमतों के बढ़ जाने जैसे विभिन्न कारणों के चलते इस बार पुस्तकों की बिक्री प्रभावित हुई। इस बार प्रकाशक बेहद नाखुश रहे। वे लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि नौ दिन तक चले दिल्ली पुस्तक मेले में पुस्तकों की बिक्री के लिए आयोजकों ने बहुत कम काम किया। इन प्रकाशकों की नाराजगी के कुछ बिंदु थे- ‘‘वहां कोई ग्राहक नहीं थे’’, ‘‘कोई प्रचार नहीं किया गया’’, ‘‘हम अगले पुस्तक मेले में हिस्सा नहीं लेंगे’’। उन्होंने कहा कि शुरूआती दिनों में पुस्तक मेले में बेहद कम संख्या में लोगों के पहुंचने के पीछे की वजह डेरा हिंसा रही। इसके अलावा जीएसटी की वजह से पुस्तकों की कीमतें बढ़ जाने के चलते भी सबकुछ गड़बड़ हो गया।
सभी प्रकाशकों की शिकायतों में यह शिकायत आम थी कि मेले से पहले उसका प्रचार ही नहीं किया गया। पीजन और जीबीडी बुक्स से जुड़े कौशल गोयल ने कहा, ‘‘बाहर पुस्तक मेले से जुड़ा एक भी होर्डिंग नहीं दिख रहा था। पहले मेट्रो स्टेशनों पर नियमित घोषणाएं की जाती थीं और वहां वे टिकटें भी बेचते थे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ।’’ मेले के एक-एक स्टॉल की कीमत 56 हजार रूपए थी। प्रकाशकों के अनुसार, यह मूल्य पिछले साल की तुलना में कई हजार रूपए ज्यादा था। उन्होंने कहा, ‘‘हम अगली बार नहीं आने वाले। यह आखिरी बार था, जब हम इस मेले में आए।’’ हालांकि आईटीपीओ ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि स्टॉल ‘ छूट प्राप्त’ दरों पर उपलब्ध करवाए गए थे।
आईटीपीओ के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘हर किसी को सब्सिडी आधारित कीमतों पर स्थान मिला। हमने कभी किसी स्टॉल की कीमत नहीं बढ़ाई। कीमतों में थोड़ा सा इजाफा करों की वजह से है।’’ इस बार मेले में महज 120 प्रकाशक आए जबकि पिछले साल 180 से ज्यादा प्रकाशक आए थे।