विचित्र: हर दिन बदलती है शिव की मूर्ति

 

महोबा। हर सप्ताह सोमवार के दिन बदल जाती हैं शिव जी की इस विशाल मूर्ति की भाव भंगिमाएं। ग्यारह सौ साल पुरानी इस मूर्ति में शिव जी गजासुर राक्षस को हाथों में उठाए रोज तांडव नृत्य करते हुए बेहद रौद्र रूप में दिखते हैं लेकिन सोमवार को वे शांत मुद्रा में नजर आते हैं। महोबा में गुरू गोरखनाथ की तपोभूमि गोरखगिरि पर स्थित यह स्थान शिव भक्तों के लिए किसी केदारनाथ से कम नहीं है और अपने इस बदलाव की वजह से यह मूर्ति कुछ समय से लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है। 15 फिट ऊंची शिव जी की इस विशाल मूर्ति का निर्माण 10वीं शताब्दी में तत्कालीन चंदेल राजा धंग ने गोरखगिरि की एक चट्टान पर उकेर कर शिल्पकारों से बनवाया था। इस मूर्ति में शिव जी की 10 भुजाएं हैं और वे गजासुर राक्षस का वध करने के बाद उसे ऊपर उठाए हैं। उनके बाकी हाथों में युद्ध के अस्त्र हैं। शिव जी ने अपना यह रौद्र रूप माता पार्वती को कैलाश पर्वत पर पहुंचने के बाद दिखाया था। शिल्पकारों ने अपनी कला से इस मूर्ति को जीवंत बना दिया। पूरे देश में शिव जी की तांडव नृत्य करते हुए इतनी विशाल मूर्ति कहीं नहीं है। हर सोमवार को यहां भक्तों का हुजूम जुटता है। हर पूर्णिमा को इसी स्थल से गोरखगिरि परिक्रमा शुरू होती है और 5 किमी की दूरी नंगे पैर चलकर भक्तगण परिक्रमा को शिव तांडव के इसी स्थान पर समाप्त करते हैं। इस शिव मंदिर के सामने ही महोबा की खूबसूरत कलेक्ट्रेट व एसपी आफिस है। सामने वाले पहाड़ पर माता विन्ध्यवासिनी का स्थान है।