सुप्रीम कोर्ट का आदेश: शांत इलाकों में न चलायें पटाखे

 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए स्थाई और खुदरा लाइसेंस निलंबित करने के अपने पिछले साल नवंबर के आदेश में मंगलवार को कुछ समय के लिए संशोधन किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दीवाली पर्व के बाद स्थाई लाइसेंस निलंबित करने के आदेश को हटाने के बारे में समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है लेकिन यह इस त्यौहार के बाद वायु की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। पीठ ने पुलिस और जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शांत क्षेत्रों में पटाखे नहीं चलाए जायें। यह क्षेत्र अस्पतालों, स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों, शैक्षणिक संस्थानों, अदालतों और धार्मिक स्थलों तथा ऐसे ही दूसरे इलाके से कम से कम एक सौ मीटर पर होता है।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने केन्द्र और संबंधित प्राधिकारियों से कहा कि वे लोगों को अलग-अलग पटाखे चलाने की बजाए सामूहिक रूप से इसमें शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करने पर विचार करें। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जो दशहरा और दीवाली पर्व के दौरान चलाए गए पटाखों का लोगों के स्वास्थ्य पर पडने वाले प्रभाव का अध्ययन करेगी।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि इस बार अस्थाई लाइसेंसों की संख्या पिछले साल की तुलना में आधी की जाए। न्यायालय ने इसकी अधिकतम सीमा 500 निर्धारित की है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, स्थाई लाइसेंस निलंबित करने के निर्देश संबंधी 11 नवंबर, 2016 का आदेश कुछ समय के लिए हटाया जा रहा है। दीवाली के बाद इसकी समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है लेकिन यह इस पूर्व के बाद वायु की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। हालाकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि स्थाई लाइसेंसधारकों पटाखों की बिक्री दिए गए निर्देशों के अनपुरूप ही होनी चाहिए और यह विस्फोटक नियमों के अनुपालन के मुताबिक होने चाहिए। पीठ ने कहा, वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव, स्वच्छ हवा में सांस लेने के मानव अधिकार और स्वास्थ के मानव अधिकार को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार और दूसरे प्राधिकारियों को लोगों को अलग-अलग पटाखे चलाने की बजाये उन्हें सामूहिक रूप से पटाखे चलाने के लिये प्रोत्साहित करने पर विचार करना चाहिए।