अंधविश्वास को नकार सीएम योगी जायेंगे नोएडा

लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने नोएडा जाने का फैसला किया है. वे 25 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे. आपके मन में सवाल होगा कि योगी अगर नोएडा जा रहे हैं, तो कौन सी नयी बात हो गयी? मायावती को छोड़ कर कोई मुख्यमंत्री डर के मारे नोएडा नहीं जाता. कहा जाता है कि जो भी सीएम नोएडा गया, उसकी कुर्सी चली जाती है। योगी से पहले अखिलेश यादव लगातार पांच साल यूपी के मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक बार भी वे नोएडा नहीं गए. जब भी सवाल हुए अखिलेश यही कहते रहे, मैं वहाँ एक दिन जाऊंगा, अभी तो बहुत समय है लेकिन वो दिन कभी नहीं आया. लखनऊ में सीएम के बंगले से ही उन्होंने आगरा से नोएडा ताज एक्सप्रेसवे का उदघाटन कर दिया। अखिलेश से पहले मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थी. वे किसी अंधविश्वास को नहीं मानतीं. बस इसी भरोसे से वे कई बार नोएडा गई. 2012 के विधान सभा चुनाव में में बीएसपी हार गयी. मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी उत्तर प्रदेश के सीएम रहे लेकिन कभी नोएडा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। अंधविश्वास के हाथों मजबूर सीएम नोएडा के सभी सरकारी कार्यक्रम दिल्ली और लखनऊ से ही निपटाते रहे. नोएडा जाने से सत्ता छिन जाने के अन्धविश्वास वाली कहानी वीरबहादुर सिंह के जमाने में शुरू हुई. वे उन दिनों राज्य के मुख्यमंत्री थे. बात जून 1988 की है. सीएम रहते हुए वीरबहादुर नोएडा गए और अगले ही दिन उनका इस्तीफा हो गया। बस उसके बाद से ही नोएडा हर मुख्यमंत्री के लिए अशुभ और अछूत बन गया. सीएम बनने के बाद योगी योगी आदित्यनाथ ने सभी 75 जिलों का दौरा करने का एलान किया था लेकिन वे अब तक नोएडा नहीं जा पाए थे. लोग तरह तरह के सवाल करने लगे थे।
ये कहा जा रहा था कि गोरक्ष पीठ के महंत भी अपशगुन से डर गए लेकिन दिसंबर को सीएम योगी नोएडा में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवानी करेंगे. गौतमबुद्धनगर के एसएसपी लव कुमार ने बताया कि सीएम के नोएडा दौरा का फाईनल कार्यक्रम आ गया है। बीजेपी के प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन बताते हैं कि योगी ने कभी अंधविश्वास और अपशगुन को नहीं माना, भले ही वे धार्मिक व्यक्ति रहे हैं. अगर मायावती को छोड़ दें तो करीब 29 साल बाद यूपी के किसी मुख्यमंत्री ने नोएडा जाने की हिम्मत की है।