कविता डागा: राम नाम के शब्दों से संजोया कला का संसार

सच्चाई यही है कि जीवन में जो कुछ भी अविस्मरणीय कार्य होते है, इन सब के पीछे ईश्वरीय प्रेरणा ही सर्वविदित हैं। ऐसा ही कुछ कोलकाता निवासी कविता डागा के साथ हुआ है, जिन्होंने आदि काल से चली आ रही राम लेखन को एक कला के रुप में रुपान्तरित किया हैं। इस कला में न तो बिंदु नहीं कोई लाईन का प्रयोग किया गया हैं। इस लेखन कला की विशेषता यह है कि इसके आकार मे पूर्ण रुप से सिर्फ राम एवं राम शब्दों का प्रयोग किया गया हैं। रामनाम हमें स्वार्थ से परमार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता हैं। आज की सदी मे मन की एकाग्रता को जोडऩे की ताकत इस रामनाम लेखन कला मे हैं। इस कला के प्रकाश से हम न केवल समाज मे बल्कि विश्व मे भी इसे योग की तरह लोकप्रिय बना सकते हैं। कविता जी का जन्म महाराष्ट्र के अकोला के अकोट में सन् 1968 में हुआ। इनका विवाह पुरुलिया निवासी कोलकाता प्रवासी राजेश कुमार जी डागा के साथ हुआ जो पेशे से चार्टड एकाउंटेंट हैं। इनके एकमात्र पुत्र कुमारवर्धनम डागा जो ग्रेजुएट कर विज्ञान की दुनिया से जुड़े हुए है। कविताजी ने अपने जीवन के 49 वर्ष तक कोई चित्र कला नहीं बनाई। विगत तीन वर्ष से वो राम लेखन कला बना रही है और अबतक वो राम लेखन से 150 से ज़्यादा चित्र बना चुकी है। इस कला की प्रणेता वो अपनी सासूजी और माताजी को मानती है। उनकी सासूजी जो जीवन पर्यन्त तक रोज़ नियमित रूप से राम राम का एक पन्ना लिखती थी। वर्ष 2017 में सासूजी के शरीर शांत होने पर उनकी बैठक में कविता जी ने पहली बार रामराम का पन्ना लिखना शुरू किया , किन्तु इनका मन बिल्कुल नहीं लगता था। इसी बैचेनी से उन्होंने उसी वक़्त राम राम से छोटे छोटे चित्र बनाने लगी। कविता जी अपनी इस ईश्वरीय आस्था में लगन का योगदान अपनी माताजी को भी देती है जो विगत 20 वर्ष से ऋषिकेश के गीता भवन में स्थायी रुप से प्रवास कर आध्यात्मिक साधना में गतिशील हैं। ईश्वर ने जो लगन लगाई वो आज हम सबके सामने रामराम आर्टस के रुप में प्रस्तुत है। कविता जी ने अपनी कला का विस्तार सोशल साइट्स विशेषकर फ़ेसबुक से किया। विशेष बात यह है कि इनके अधिकतर फ़ालोअर जो ख़ुद कला क्षेत्र में महारथ है, सभी इस कला को चाहने लगे है। इनके प्रशंसक सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने से विशेषकर अमेरिका एंव युरोप से भी है। इस कला के प्रति लोगों का स्नेह देखकर इनके पुत्र एंव पति ने कविताजी को रामलेखन कला को लोगों को सिखाने के लिये। इसी प्रेरणा से कविता जी ने जून 2019 से राम रामलेखन कार्य शाला की शुरुआत की । अब तक 40 से अधिक राम राम लेखन की कार्य शाला विशेषकर कोलकाता के अलावा पुरूलिया, राँची , जमशेदपुर, बीकानेर, नोखा, झाडसुगडा,सम्बलपुर, रायपुर, पिपरिया, जबलपुर, अकोला, अमरावती, नागपुर, चेन्नई, ईरोड, सलेम, मदुरैई आदि शहरों में कर चुकी हैं। राम लेखन कार्य शाला में बच्चे बड़े ही उत्साहित रहते है। फ़ेसबुक पेज से भी जुडक़र इस कला को लोग अपना रहे है। विशेष रुप से बताना ज़रूरी है एंव हम सब के लिये गर्व की बात है कि अमेरीका में रहने वाले कुछ भारतीय बच्चे इस कला से जुड़ गये है। कविता जी की लगन है कि वो पुरे भारत में इस कला की कार्य शाला करें ताकि सभी लोगों को ईश्वरीय आनन्द की अनुभूति हो सकें, ऐसा प्रत्यक्ष रुप में प्रतिभागी इनकी कार्य शाला में अनुभव कर रहे है।राम राम लेखन कार्य शाला की विशेषता है कि सारे प्रतिभागी पूरी तन्मनयता के साथ जब राम लेखन से चित्र बनाते है, उनका पुरा ध्यान केन्द्रित रहता है, जिसे हम खुली आँखों की ध्यान प्रक्रिया कह सकते है। विशेष बात यह है कि ये कार्य शाला नि:शुल्क करती है एंव अपनी यात्रा का ख़र्च भी ख़ुद वहन करती है।