बाढ़ के पानी से डूबे वाराणसी के घाट

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वाराणसी । गंगा की बाढ़ कहां तक पहुंची यह देखने के लिए सबसे प्रसिद्ध घाट दशाश्वमेध की ओर रुख किया। गोदौलिया से गुजरते वक्त मन में विचार उमड़.घुमड़ रहे थे कि घाट पर पहुंच कर गंगा का विहंगम दृश्य देखने को मिलेगा। चितरंजन पार्क से कदम शीतला घाट की ओर बढ़ चले। अपनी ही धुन में बढ़त-बढ़ते अचानक सामने का नजारा देखकर मुंह से निकल पड़ा श्ई काश्ए गंगा मईया त गल्ली तक पहुंच गइलिन। पंडा.पुराहितों के चौकी और छतरी गली में सजी थी। बाढ़ चौचक घाटों को डुबोकर अब गलियों की ओर थी।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बनारस में जलस्तर 68ण्36 मीटर पहुंच चुका था। यहां चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है। जलस्तर में करीब तीन से चार सेंटीमीटर प्रति घंटे का बढ़ाव हो रहा है। यमुना से आ रहे पानी के चलते गंगा में जलस्तर बढ़ रहा है। आयोग के अनुसार इलाहाबाद में भी दो से तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटे की बढ़ोतरी हो रही थी। ऐसे में अभी बनारस में गंगा के जलस्तर में बढ़ाव की प्रवृत्ति बनी रहेगी। गंगा की बाढ़ और पलट प्रवाह का असर वरुणा और गोमती नदी पर पड़ रहा है। खासकर वरुणा के तटवर्ती इलाकों में नदी के डूब क्षेत्र में बनाए गए मकानों में पानी घुसने लगा है। प्रभावित क्षेत्रों से पलायन भी होने लगा है। साथ ही इन क्षेत्रों में पेयजल का संकट भी खड़ा हो गया है। बाढ़ के चलते पक्के घाटों की रौनक पूरी तरह से पानी में डूब गई है। अब सिर्फ गलियों व कुछ घाटों की टंकी व छतों आदि से बाढ़ का विहंगम दृश्य देखने को मिल रहा है। दशाश्वमेध व शीतला घाट की आरती गुरुवार को छत से संपन्न हुई। उधर अस्सी घाट पर सुबह ए बनारस का प्लेटफार्म भी जलमग्न हो चुका है। शुक्रवार को यहां आरती व यज्ञ आदि ऊपर की तरफ आयोजित होगी।
मणिकर्णिका घाट पर शवदाह स्थल डूब जाने से अब घुड़दौड़ स्थल की छत पर शवदाह हो रहा है। प्रतिदिन करीब 65 से 70 शव आ रहे हैं। लोगों को शवदाह के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। वजह यह कि जगह कम होने से एक बार में कम ही चिताएं लग पा रही हैं। मौके का लाभ उठाते हुए चिता की लकडिय़ों के दाम बढ़ गए हैं। यही हाल हरिश्चंद्र घाट का भी है। यहां राजा हरिश्चंद्र का मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। गलियों में शवदाह हो रहा है। लकड़ी 300 से 350 रुपये प्रति मन बिक रही है।