नेपाल में अवाम की मांग: फिर से आये राजशाही

काठमांडू, एजेंसियां। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। पीएम ओली का पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड से टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है। यही नहीं कई रिपोर्टों में चीन द्वारा नेपाल की जमीनों पर कब्जा करने के खुलासे भी हुए हैं। ओली अपने चीन प्रेम के चलते भी प्रतिद्वंद्वियों के निशाने पर हैं। आलम यह है कि ओली सरकार आवाम का भरोसा खोती नजर आ रही है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, राजधानी काठमांडू में बीेते दिन बड़ी संख्या में लोगों ने राजशाही की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
हाल ही में ओली ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समक्ष प्रचंड की ओर से लगाए गए आरोपों पर अपना जवाब पेश किया था। इस जवाब में ओली ने पार्टी से विचार-विमर्श के बिना मनमाने ढंग से सरकार चलाने के आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने आरोपों के जवाब में 38 पेज का राजनीतिक दस्तावेज पेश करते हुए कहा था कि कहा कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड सहित कुछ वरिष्ठ नेता पार्टी चलाने में उनके साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। सनद रहे कि ओली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख भी हैं और प्रचंड एक व्यक्ति-एक पद की मांग कर रहे हैं। प्रचंड और उनके साथियों का कहना है कि ओली प्रधानमंत्री या पार्टी प्रमुख में से एक पद छोड़ें और पार्टी में एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत लागू करें। हालांकि ओली ने प्रचंड की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। दोनों खेमों के बीच विवाद की मुख्य वजह यही है। इसी वजह से पार्टी के भीतर ही आपसी खींचतान का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है। हाल के दिनों सचिव मंडल के नौ में से पांच सदस्य- प्रचंड, माधव नेपाल, झालनाथ खनाल, वामदेव गौतम और नारायण काजी श्रेष्ठ प्रस्तावित बैठक कराने के लिए दबाव बनाए हुए थे लेकिन ओली ने यह बैठक स्थगित कर दी थी।