सुप्रीम कोर्ट की चिंता: फारेस्ट रेंजरों को मिले हथियार

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वन्यजीवों के शिकारियों और तस्करों द्वारा फारेस्ट रेंजरों पर हमले की घटनाओं पर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि वह इन अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये उन्हें हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट उपलब्ध कराने के बारे में आदेश पारित कर सकता है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि वन अधिकारियों का मुकाबला बड़ी ताकतों से है और तस्करों द्वारा लाखों डालर हड़पे जा रहे हैं। पीठ 25 साल पुरानी टी एन गोदावर्मन तिरुमुल्पाद की जनहित याचिका में दाखिल एक अंतरिम आवेदन पर विचार कर रही थी।पीठ ने कहा कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें अलग से वन्यजीव प्रकोष्ठ होना चाहिए। यह सब अपराध से अर्जित धन है।पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के इस कथन का संज्ञान लिया कि वन अधिकारियों पर होने वाले हमलों में भारत की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत है। उन्होंने राजस्थान, मप्र और महाराष्ट्र में वन अधिकारियों पर हमले की घटनाओं की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया।दीवान ने कहा, ‘‘फारेस्ट रेंजरों पर बर्बरतापूर्ण हमले किये जा हैं। यही नहीं, ये लोग इन अधिकारियों के खिलाफ भी मामले दर्ज करा रहे हैं।’’पीठ ने कहा, ‘‘हम जब असम जाते हैं, तो (देखते हैं) उन्हें हथियार दिये गये हैं जबकि महाराष्ट्र में उनके पास सिर्फ ‘लाठी’ होती है।’’पीठ ने कहा कि सालिसीटर जनरल तुषार मेहता, श्याम दीवान और एडीएन राव द्वारा फारेस्ट रेंजरों की रक्षा के बारे में वक्त्व्य दिये जाने के बाद इस मामले में उचित आदेश पारित किया जायेगा।आवेदन पर सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देंगे कि अधिकारियों को हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट दिये जायें। कर्नाटक में वन अधिकारियों को ‘चप्पलों’ में ही घूमते देखा जा सकता है और वन्यजीवों के शिकार करने वाले उन्हें झापड़ तक मार देते हैं। हम चाहते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख पर सालिसीटर जनरल वक्तव्य दें कि कर्मियों को हथियार दिये जायेंगे।’’पीठ ने अपने आदेश में इस बात को दर्ज किया कि विभिन्न राज्यों में फारेस्ट रेंजरों पर हमले किये जा रहे हैं और उन्हें अपने कर्तव्य से विमुख करने के लिये उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं।