दोबारा रेप जैसी है पाकिस्तान की प्रथा : टू फिंगर टेस्ट

लाहौर। 14 साल की शाजिया ने रेप के बाद पुलिस को इसकी शिकायत देने का दुर्लभ और साहसी कदम उठाया, लेकिन इसके बाद उसे बेहद बुरे अनुभव वाले ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ से गुजरना पड़ा। पाकिस्तान में ‘टू फिंगर टेस्ट’ की प्रथा आज भी लागू है जो पीडि़ता को न्याय की गारंटी नहीं देता बल्कि उसे दोबारा रेप जैसी यातना देता है। चाचा द्वारा यौन शोषण का शिकार बनाई गई किशोरी सदमे में थी और डॉक्टर ने उसे डॉक्टर के पास जाने को मजबूर किया जिसने उसके शरीर में दो अंगुलियां डालकर यह जांचा की वह पहले से सेक्स तो नहीं करती रही है। शाजिया ने एएफपी को लिखित बयान में बताया, ”उसने (महिला डॉक्टर) ने मुझे टांगों को फैलाने को कहा और फिर अंगुलियां अंदर डालीं। यह बहुत दर्दभरा था। मैं नहीं जानती वह ऐसा क्यों कर रही थीं। काश मेरी मां मेरे साथ होती।” एक ऐसे देश में जहां बलात्कार की बहुत कम घटनाओं को रिपोर्ट किया जाता है और यौन हमले की शिकार पीडि़ताओं को संदेह की नजर से देखा जाता है। पुलिस जांच के हिस्से के रूप में अक्सर कौमार्य परीक्षण का आदेश दिया जाता है। परिणाम किसी भी आपराधिक केस के लिए अहम हो सकता है, लेकिन अविवाहित पीडि़ता को सेक्सुअली एक्टिव बताए जाने पर उसे बदनाम किया जा जाता है। यह पाकिस्तान में रेप केसों में सजा की दर के बेहद होने की वजह बताने को काफी है। पाकिस्तान में यह दर महज 0.3 फीसदी है। शाजिया जिस ‘टू फिंगर टेस्ट’ से गुजरी उसमें एक डॉक्टर अपनी दो अंगुलियों को साथ में पीडि़ता के वजाइना (योनि) में डालता है और यह रिकॉर्ड किया जाता है कि अंगुलियां आसानी से गईं या नहीं। उम्मीद की जाती है कि परीक्षण महिला डॉक्टर करे, लेकिन इस गाइडलाइन का हमेशा पालन नहीं किया जाता है। दूसरे वर्जिनिटी टेस्ट में ग्लास रॉड्स के जरिए चोट के निशान देखकर फैसला किया जाता है। ये यौन शोषण के हमलों में बचीं महिलाओं के लिए बेहद डरावने अनुभव होते हैं, जो पहले ही महिलाओं की पवित्रता के नाम पर सामाजिक बुराइयों का सामना कर रही होती हैं। इस कड़वे अनुभव का सामना करने वाली शाजिया ने कहा, ”मुझे नहीं बताया गया था कि वे किस तरह मेरी जांच करेंगे। उन्होंने बस इतना कहा था कि पुलिस की मदद के लिए मुझे डॉक्टर को दिखाना है।” केस फाइल करने वाले साजिया के माता-पिता ने परिवार के दबाव में केस वापस ले लिया।