कोर्ट में सरकार का जवाब: माल्या को लाने का सारा प्रयास किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंकों का अरबों रुपए का कर्ज नहीं चुकाने के आरोपी भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ बिंदुओं पर पर चल रही कानूनी कार्यवाही की वजह से विलंब हो रहा है। विजय माल्या, बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर बैकों का 9 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के मामले में आरोपी है। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने इसकी सुनवाई 15 मार्च के लिए स्थगित कर दी। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई शुरू होते ही केंद्र की ओर से मेहता ने विजय माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी देवेश उत्तम द्वारा उन्हें लिखा गया पत्र पीठ के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन की सरकार के सामने माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया है और केंद्र पूरी गंभीरता से उसे वापस लाने के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी स्थिति पूर्ववत है और राजनीतिक कार्यपालिका के स्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर पर बार-बार यह मामला उठाया जा रहा है। पीठ ने विदेश मंत्रालय के इस अधिकारी का यह पत्र रिकॉर्ड पर लेने के बाद सुनवाई 15 मार्च के लिए स्थगित कर दी। विजय माल्या 2016 से ब्रिटेन में है। माल्या प्रत्यर्पण वारंट पर स्काटलैंड यार्ड पुलिस द्वारा किए अमल के बाद से 18 अप्रैल, 2017 से जमानत पर है।
मेहता द्वारा न्यायालय में पेश पत्र में कहा गया है, ”विदेश मंत्रालय को ब्रिटिश सरकार ने सूचित किया है कि इसमें एक और कानूनी मुद्दा है जिसे माल्या का प्रत्यर्पण करने से पहले सुलझाने की आवश्यकता है।” पत्र में कहा गया है, ”ब्रिटिश कानून के तहत इस मुद्दे को हल किए बगैर प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है। चूंकि यह न्यायिक किस्म का है, इसलिए यह विषय गोपनीय है और आप समझ सकते हैं कि सरकार इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं करा सकती। हम यह अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि इसके समाधान में कितना वक्त लगेगा। भारत सरकार के लिए इस मामले के महत्व को ब्रिटिश सरकार पूरी तरह समझती है। मैं यह आश्वासन दे सकता हूं कि ब्रिटिश सरकार यथाशीघ्र इसे हल करने का प्रयास कर रही है।”