जनसेवा केंद्र खोलने में बढ़ा युवाओं का रूझान

लखनऊ। इंटरनेट तकनीक के विकास संबंधी शुरुआती दौर में किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह एक ऐसा आविष्कार बनेगा जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकेगा। परन्तु आज संचार तकनीक के जरिये ही उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़े लिखे बेरोजगार युवा जनसेवा केंद्र खोलने में रूचि ले रहें हैं। जिसके चलते बीते दो माह में ही 89945 युवाओं ने ग्रामीण इलाकों में जनसेवा केंद्र खोलने के लिए कदम बढ़ाया है। इनमें से 53026 युवाओं ने तो जनसेवा केंद्र खोल कर ग्रामीणों को शासन के 35 विभागों की 258 सेवाओं का लाभ मुहैया कराते हुए धन कमाना भी शुरू कर दिया है। जल्दी ही 36919 युवाओं का जनसेवा केंद्र भी शुरू हो जायेगा, इन युवाओं के जनसेवा केंद्र को खोलने की अनुमति शासन से मिल गई है।
मात्र दो माह में ग्रामीण क्षेत्रों के पढ़े लिखे 89945 बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार मुहैया कराने के मामले में मिली यह सफलता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच का नतीजा है। मुख्यमंत्री खुद भी टेक्नोसेवी हैं। वह खुद भी लैपटाप पर कई विभागों की फाइलों का निस्तारण करते हैं। वह दर्पण डैशबोर्ड से सरकारी योजनाओं की प्रगति की ऑनलाइन मॉनीटरिंग भी करते रहे हैं। संचार तकनीक के अपने ज्ञान के चलते ही मुख्यमंत्री ने सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए बीते नवंबर में ग्रामीणों को सरकार की सेवाएं मुहैया कराने के बाबत जनसेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) के तीसरे चरण को शुरू करने का फैसला किया था।
मुख्यमंत्री ने अपने इस फैसले तहत चार महीने में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 1.5 लाख जन सेवा केन्द्रों को खोले जाने का लक्ष्य रखा था। यही नहीं इस परियोजना से उन्होंने करीब 4.5 लाख ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार महैया करने का टार्गेट भी तय किया था। यह टार्गेट तय करते हुए मुख्यमंत्री को विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनसेवा केंद्र खुलने से ग्रामीणों को सरकार की सेवाओं को पाने के लिए शहर नहीं आना पड़ेगा। जिसके चलते ग्रामीणों के धन तथा समय की बचत होगी और जनसेवा केंद्र गांवों में रोजगार मुहैया कराने का अवसर उत्पन्न करेगा।
बताया जाता है कि इन जनसेवा केन्द्रों को खोलने वाले युवाओं को अच्छी आमदनी हो और वह जनसेवा केंद्र में कम से कम दो लोगों को रोजगार दे सके। इस सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) के तीसरे चरण की कार्य योजना को तैयार करवाया था। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एक जन सेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) की जगह दो जन सेवा केंद्र खोलने का फैसला किया गया। पहले प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम एक जन सेवा केंद्र और शहर में 10 हजार की आबादी पर न्यूनतम एक जन सेवा केंद्र खोला जाता था। गांवों में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू हुई इस योजना के तहत जन सेवा केंद्रों के माध्यम से प्रदेश के 35 विभागों की 258 शासकीय सेवाएं गांव के लोगों को उपलब्ध कराने का फैसला भी तब किया गया। इसके अलावा गांव स्तर पर खोले जाने वाले इन जनसेवा केन्द्रों से अच्छी कमाई की जा सके इसके लिए प्रति सेवा 30 रुपये शुल्क लेना तय किया गया। पहले यह शुल्क 20 रुपये था। यही नहीं जनसेवा केंद्र संचालक की आय बढ़ाने के लिए उसे प्रति ट्रांजेक्शन 4 रुपये की जगह सरकार की तरफ से 11 रुपये दिए जाने का फैसला भी किया गया। योगी सरकार के इन फैसलों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने जनसेवा केंद्र खोलने में रूचि ली और देखते ही देखते 89945 युवाओं ने ग्रामीण इलाकों में जनसेवा केंद्र खोलने के लिए कदम बढ़ा दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अफसरों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 1.5 लाख जनसेवा केंद्र खोलने का लक्ष्य अगले माह में पूरा हो जाएगा। जो एक रिकार्ड होगा। उक्त अधिकारी का यह भी बताते हैं कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए जनसेवा केंद्र खोलने की योजना वर्ष 2007-08 में नेशनल ई गवर्नेस एक्शन प्लान के तहत कुछ जिलों में शुरू हुई थी। इसके बाद राज्य के सभी जिलों में जनसेवा केंद्र का दूसरा चरण पीपीपी मोड़ पर शुरू किया गया। जिसके तहत कुल 63,119 जन सेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) प्रदेश भर में खुले। अब इस योजना के तीसरे चरण में मात्र दो महीने में ही 89945 जनसेवा केंद्र खोलने के लिए युवा आगे आएं हैं क्योंकि अब इस कारोबार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तैयार की गई योजना के चलते बेहतर आमदनी होने लगी है। जिसके चलते ग्रामीण युवाओं ने जनसेवा केंद्र खोलने में उत्साह दिखाया और युवाओं के इस योजना के प्रति दिखायी जा रही रूचि के चलते 15 मार्च तक 1.5 जनसेवा केंद्र राज्य में खुलने का टार्गेट आसानी से पा लिया जाएगा। अब इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अफसर यह दावा कर रहें हैं।