फुटपाथ से चाट किंग तक का सफऱ

अर्जुन मिश्रा । हरदयाल मौर्य सन् 1980 में सात बरस की उम्र में यूपी के सीतापुर जि़ले के अपने गाँव से पैसेंजर ट्रेन द्वारा बिना टिकट लखनऊ आ गए,वजह कि गाँव में घर पर बहुत गऱीबी थी,रोज़ खाना मिलना भी एक सपने जैसा था।जब हरदयाल मौर्य लखनऊ आए तो वहीं फ़ुटपाथ पर आकर सो गए जहाँ आज रॉयल कैफ़े है। जब नब्बे के दशक में रॉयल कैफ़े हजऱतगंज में खुला तो यहाँ आकर रसोई में काम करने लगे।वक़्त गुजऱता गया,हरदयाल मौर्य हमेशा व्यंजनों में कुछ नया करने की कोशिश करते रहते,बात नब्बे के दशक में उन दिनों की है जब यूपी में चुनाव हो रहे थे,बहुत से पत्रकार यूपी चुनाव को कवर करने लखनऊ आए थे,तभी एक दिन हरदयाल मौर्य ने आलू से पहली बार बास्केट बनायी और उस बास्केट से बास्केट चाट बना डाली,उसी दिन कई पत्रकार रॉयल कैफ़े आ गए,हरदयाल मौर्य ने अपनी पहली बास्केट चाट पत्रकार बरखा दत्त को परोसी,बरखा दत्त को चाट पसंद आयी!फिर दूसरे पत्रकारों ने भी बास्केट चाट खायी और कुछ दिनों बाद अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने हरदयाल मौर्य और बास्केट चाट के बारे में छाप डाला।अब मौर्या जी की बास्केट चाट की गाड़ी चल पड़ी,लोग बास्केट चाट खाने रॉयल कैफ़े में हरदयाल मौर्य के पास आने लगे।कुछ समय बाद मौर्या जी नए आसमान की तलाश में बॉम्बे चले गए और वहाँ अपनी एक फ़ूड चेन बनायी,बॉम्बे में भी हरदयाल मौर्या की बास्केट चाट हिट हो गई,दो हज़ार से भी ज़्यादा लोग इनकी फ़ूड चेन में काम करने लगे,बॉलीबुड का कोई ऐसा स्टार नहीं था जिसने मौर्या जी की बास्केट चाट ना खायी हो,पूरे महाराष्ट्र में भी हर मुख्य जगह इनकी फ़ूड चेन की फ्ऱेंचाइज़ी हो गई,चाट किंग के नाम से मशहूर हो गए। एक दिन इनकी चाट से कमाई बीस लाख रूपये से भी ज़्यादा हुई,उस दिन मौर्या जी ने सोचा कि अब तो सब कुछ हमें मिल गया जो चाहिए था,अब वापस अपनी मिट्टी पर लौटना चाहिए,साईं बाबा के भक्त हरदयाल मौर्य ने एक दिन बॉम्बे में सब कुछ त्याग दिया और दूसरों को अपने फ़ूड चेन का कारोबार सौंप आज़ाद हो गए।वापस लखनऊ आ गए और उसी रॉयल कैफ़े में फिर से बास्केट चाट बनाने का काम करने लगे जहाँ से गए थे,यहाँ कई होटलों मे मुंहमांगी तनख़्वाह पर हरदयाल मौर्य को रखना चाहा लेकिन मौर्या जी रॉयल कैफ़े में ही डटे रहे और फिर यूपी में एक बार डबल स्पीड से बास्केट चाट को शोहरत हासिल होने लगी,बास्केट चाट के शौक़ीन रॉयल कैफ़े पर बास्केट चाट खाने दूर-दूर से आने लगे,हरदयाल मौर्य की रॉयल कैफ़े की बास्केट चाट आज लखनऊ की पहचान बन गई है,हरदयाल मौर्य अब यूपी में चाट किंग के नाम से जाने जाते हैं,अब एक बार फिर इनके पास दौलत-शोहरत-बंगला-गाड़ी-नौकर-चाकर सब-कुछ है।कुल मिलाकर ये कि अपनी मेहनत से इंसान अपना मनचाहा मुकाम प्राप्त कर सकता है,फ़ुटपाथ पर सोने वाले हरदयाल मौर्य ने ये कर के दिखाया है,हरदयाल मौर्य से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।हमें भी हरदयाल मौर्य की बास्केट चाट बहुत पसंद है,अक्सर इनकी बास्केट चाट खाने रॉयल कैफ़े जाते हैं ।