जानिए किसने गढ़ा था खोला होबे का नारा

डेस्क। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुआई में तृणमूल कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की है यानी टीएमसी ने बीजेपी की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बाद भी खेला कर दिया है। चुनाव प्रचार की तरह मतगणना के बाद भी हर तरफ ‘खेला होबे’ का शोर है। 2021 का विधानसभा चुनाव इस नारे पर ही केंद्रित रहा। आइए आपको मिलवाते हैं उस शख्स से जिसने यह जिताऊ नारा दिया।
इस साल जनवरी में सिविल इंजीनियर से राजनेता बने 25 वर्षीय देबांग्शु भट्टाचार्य ने ‘खेला होबे’ गाना लिखा था। यह जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कई डीजे वर्जन आ गए। ममता बनर्जी ने युवाओं को इस गाने से कनेक्ट होते देख लपकने में देर नहीं की। वह खुद ही चुनावी मंचों से ‘खेला होबे’ का नारा लगाने लगीं। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने इसके सहारे ही ममता पर पलटवार किया।
‘खेला होबे’ से पहले भट्टाचार्य ने टीएमसी के लिए पहले भी कई गानें लिखे हैं। उनके गाने ‘ममता दी और एक बार’ और ‘दिल्ली जाबे हवाई चोटी’ भी लोकप्रिय हो चुके हैं। एक वीडियो क्रिएटर के रूप में शुरुआत करने वाले देबांग्शु खुद को ममता बनर्जी का कट्टर प्रशंसक बताते हैं। देबांग्शु के मुताबिक उन्होंने इस गाने के बोल को टीएमसी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए लिखा है। गाने में ममता बनर्जी सरकार की योजनाओं ‘कन्याश्री’ और ‘स्वास्थ्य साथी’ जैसी योजनाओं को जिक्र किया गया है तो बीजेपी नेताओं को बाहरी बताया गया है। इंटरनेट पर इसके कई डीजे वर्जन आ चुके हैं और सभी वीडियो को लाखों व्यूज मिले हैं।
2019 चुनाव के बाद भट्टचार्य ने टीएमसी का दामन थाम लिया था। भट्टाचार्य ने गीत लिखा और इसे सोशल मीडिया पर 7 जनवरी को अपलोड किया। अपलोड होने के तुरंत बाद ही इस गाने ने टीएमसी समर्थकों का ध्यान आकर्षित किया और लोकप्रिय हो गया। कुछ दिनों बाद जब टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल ने खेला होबे शब्द का इस्तेमाल किया, इसके बाद वे अधिक लोकप्रिय और वायरल हो गए।