बोले नसीरुद्दीन शाह: इस्लामोफोबिया से ग्रसित है बॉलीवुड

नई दिल्ली। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कहा है कि वह इस्लामोफोबिया से ग्रसित है। यही नहीं उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से फिल्ममेकर्स को ऐसा सिनेमा तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने तालिबान की वापसी के बाद भारत में कुछ मुस्लिमों की ओर से जश्न मनाए जाने के अपने बयान को लेकर भी कहा कि उन्हें गलत समझा जा रहा है। क्या उनके साथ फिल्म इंडस्ट्री में कभी भेदभाव हुआ है, ‘मैं नहीं जानता कि फिल्म इंडस्ट्री में मुस्लिम समुदाय से कोई भेदभाव किया जा रहा है या नहीं। मैं मानता हूं कि हमारा योगदान अहम है। इस इंडस्ट्री में पैसा ही भगवान है।’नसीरुद्दीन शाह ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि आप यहां जितना ज्यादा पैसा कमाते हैं, उसी के मुताबिक आपकी इज्जत होती है। आज भी इंडस्ट्री के तीन खान टॉप पर हैं। उन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती है और आज भी वे रिजल्ट दे रहे हैं। मैंने कभी भेदभाव जैसी बात फील नहीं की। मुझे अपने करियर की शुरुआत में ही नाम की सलाह दी गई थी, लेकिन मैंने अपना नाम बनाए रखा। मैं नहीं मानता कि इससे कोई अंतर पैदा हुआ होगा। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि इंडस्ट्री के बाहर भेदभाव मौजूद है। अभिनेता ने कहा कि मुस्लिम नेता, यूनियनों के सदस्य और छात्र जब कोई सामान्य बयान भी देते हैं तो उनका विरोध किया जाता है। वहीं जब मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसक बयान दिए जाते हैं तो उस तरह का शोर नहीं दिखता। यही नहीं उन्होंने कहा कि मुझे तो बॉम्बे टु कोलंबो और कोलंबो टु कराची की टिकट भी भेज दी गई थी। नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘फिल्म इंडस्ट्री को अब सरकार की ओर से उनके विचार के समर्थन वाली फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार के प्रयासों की सराहना करने वाली फिल्में बनवाई जाती हैं। उन्हें फंडिंग की जाती है और क्लीन चिट का भी वादा होता है, यदि वे प्रोपेगेंडा फिल्में बनाते हैं।’