पीएम मोदी ने 9 मेडिकल कॉलेजों का किया शुभारंभ

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में स्थानीय मेडिकल कॉलेज समेत कुल नौ मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया।
मोदी ने सिद्धार्थनगर में बने मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ वहीं से एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, देवरिया, गाजीपुर, मिर्जापुर और जौनपुर के मेडिकल कॉलेजों का भी डिजिटल माध्यम से लोकार्पण किया। इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कुल 2,329 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। इनमें से आठ मेडिकल कॉलेज केंद्र प्रायोजित योजना के तहत स्वीकृत किए गए हैं, जबकि जौनपुर में मेडिकल कॉलेज को राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से तैयार कराया है। मोदी ने लोकार्पण कार्यक्रम में चित्र प्रदर्शनी तथा माधव प्रसाद त्रिपाठी चिकित्सा महाविद्यालय के मॉडल को देखा। उन्होंने छायाचित्र प्रदर्शनी, बुद्ध का जीवन दृश्य एवं उत्खनित पुरास्थल कपिलवस्तु-एक झलक का अवलोकन भी किया। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। यह देश के किसी प्रधानमंत्री का सिद्धार्थनगर का पहला दौरा है। सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेजों के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री मोदी अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में ‘प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ की शुरुआत करेंगे और वाराणसी के लिए 5,200 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पांच साल तक चलने वाली प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के लिए बजट में 64,180 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसकी घोषणा 2021-2022 के केंद्रीय बजट में की गई थी। मोदी सोमवार को वाराणसी के मेहदीगंज में एक जनसभा के दौरान इस योजना को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। प्रवक्ता ने बताया कि केन्द्र सरकार ने स्वस्थ भारत योजना के लिये चार-स्तरीय रणनीति बनाई है। जिसमें स्वच्छ भारत अभियान, योग, गर्भवती महिलाओं-बच्चों की समय पर देखभाल एवं उपचार जैसे उपायों सहित बीमारी की रोकथाम तथा स्वास्थ्य कल्याण को बढ़ावा देना है। साथ ही समाज के वंचित वर्ग के लोगों को सस्ता और प्रभावी इलाज मुहैया कराना और स्वास्थ्य अवसंरचना तथा स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की गुणवत्ता को बढ़ाना शामिल है। इस योजना का उद्देश्य देश के सुदूर हिस्सों में प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता विकसित करना है। देश में ही अनुसंधान, परीक्षण और उपचार के लिये एक आधुनिक व्यवस्थित तंत्र विकसित करना है।