रहस्यमयी किला जहां अमावस की रात आता है शिव का अवतार

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फीचर डेस्क। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर के पास स्थित असीरगढ़ के किले में लोक मान्यता है कि इस किले के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में अश्वत्थामा अमावस्या व पूर्णिमा तिथियों पर शिव की उपासना और पूजा करते हैं। सतपुड़ा पर्वत की गोद और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है असीरगढ़ का किला। इस क्षेत्र में ताप्ती और नर्मदा नदी का संगम भी है। यह प्राचीन समय में दक्षिण भारत जाने के द्वार के रूप में भी जाना जाता था। इस किले व मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे करीबी स्थान बुरहानपुर शहर है। जहां से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर असीरगढ़ किले में यह मंदिर स्थित है। यहां पहुंचना मन में अध्यात्म के साथ रोमांच पैदा करता है। यह मंदिर बहुत पुराना है। यहां तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी होती है। किंतु यहां पर पहुंचने पर विशेष आध्यात्मिक अनुभव होता है। मंदिर चारों ओर खाई व सुरंगो से घिरा है। माना जाता है इस खाई में बने गुप्त रास्ते से ही अश्वत्थामा मंदिर में आते-जाते हैं। इसके सबूत के रूप में मंदिर में सुबह गुलाब के फूल और कुंकुम दिखाई देते हैं। माना जाता है कि अश्वत्थामा मंदिर के पास ही स्थित इस तालाब में स्नान करते हैं। उसके बाद शिव की आराधना करते हैं। इस मंदिर को लेकर लोक जीवन में एक भय भी फैला है कि अगर कोई अश्वत्थामा को देख लेता है तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। किंतु मंदिर के शिवलिंग के लिए धार्मिक आस्था है कि शिव के दर्शन से हर शिव भक्त लंबी उम्र पाने के साथ सेहतमंद रहता है।