विश्वनाथ मंदिर के चढ़ावे में गोलमाल, कीमती वस्तुओं के रिकार्ड गायब

kashi-vishwanath-temple1

वाराणसी। काशी विश्वनाथ के दरबार से सोने-चांदी और कीमती गहने कितनी बार पार किए गए, इसकी गिनती करना मुश्किल होगा। श्रद्धालुओं द्वारा बाबा को अर्पित किए गए सोने-चांदी और कीमती वस्तुओं का रिकॉर्ड ढूंढे नहीं मिल रहा है। बाबा के दर्शन के लिए रोज दक्षिण भारतीय राज्यों के अलावा उत्तर भारत से आने वाले हजारों श्रद्धालु रोजाना चांदी के बेलपत्र और अन्य कीमती वस्तुएं भी चढ़ाते हैं लेकिन मंदिर प्रशासन के पास 15 साल से ऐसे किसी दानदाता की न तो सूची बनाई गई और न तो उन चढ़ावे को सार्वजनिक किया गया।
आखिर इस अवधि का सोना-चांदी गया कहांए यह बड़ा सवाल पैदा हो गया है। रिकॉर्ड न होने की भी शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई। वर्ष 1983 में विश्वनाथ मंदिर के अधिग्रहण के बाद से वर्ष 1999 तक के बाबा के कीमती चढ़ावों के आधे-अधूरे रिकॉर्ड ही मंदिर प्रशासन के पास हैं। इसमें से भी कई महत्वपूर्ण रिकॉर्डों के गायब होने की आशंका है। बाबा की सोने.चांदी की मिश्रित हंस शैय्या के अलावा पूजा कराने के लिए दान में मिलीं सोने की शृंगियां, चांदी के कटघरे का भी पता नहीं है। यह तो मामूली गिनती है। इस बड़े गोलमाल की जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले राज सामने आ सकते हैं। पता चला है कि वर्ष 2000 के बाद से सोने-चांदी के रिकॉर्ड नदारद हैं। इसकी जानकारी मिलने पर न्यास परिषद की नौ फरवरी, 15 की बैठक में प्रस्ताव पारित कराया गया कि बाबा के कीमती चढ़ावा और सोने-चांदी गहनों के रिकॉर्ड तैयार किए जाएं। न्यास के इस निर्णय के क्रियान्वयन के लिए तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी सीपीएन उपाध्याय ने भी निर्देश जारी किया कि सोने-चांदी के रिकॉर्ड पेश किए जाएं और दान रजिस्टर बनाकर उनकी सूची तैयार की जाए लेकिन कोई लेखाजोखा न होने की वजह से कर्मचारी भाग खड़े हुए। सीपीएन का तबादला हो गया और इस मामले को दबा दिया गया। पता चला है कि बाबा के चढ़ावे की चांदी गलाकर कौडिय़ों के भाव बेची जा चुकी है।