वन रैंक वन पेंशन: पूर्व सैनिकों की 6 मांगे दरकिनार, बाकी मंजूर

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने आज पूर्व सैनिकों के लिए ऐतिहासिक वन रैंक वन पेंशन का ऐलान कर दिया। रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की। प्राप्त जानकारी के मुताबिक वन रैंक वन पेंशन को 1 जुलाई 2014 से लागू माना जाएगा। हालांकि सरकार ने पूर्व सैनिकों की छह मांगें नकार दी है, जिसके चलते फिलहाल जंतर मंतर पर चल रहा प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ है। इस ऐलान के बाद 10 हजार करोड़ तक का खर्च बढ़ेगा। पूर्व सैनिकों के एरियर पर 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पूर्व सैनिकों और सरकार ने बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे पर सहमति बनाई। अब हर पांच साल में पेंशन का रिवीजन होगा। दो साल में चार बराबर किश्तों में एरियर मिलेगा। सरकार ने पूर्व सैनिकों की ज्यादातर मांगें मान ली है। वन रैंक वन पेंशन का बेस ईयर 2013 होगा। पेंशन के एरियर का भुगतान चार किश्तों में होगा। शहीदों की विधवाओं को एक किश्त में एरियर दिया जाएगा।इसके अलावा हर पांच साल में पेंशन का रिवीजन किया जाएगा। लेकिन वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने वालों को वन रैंक वन पेंशन का लाभ देने पर कोई ऐलान नहीं किया गया। वहीं अधिकांश मुद्दों पर सहमति के बाद पूर्व सैनिकों ने ओआरओपी की मंजूरी पर खुशी जताई और सरकार को धन्यवाद दिया। लेकिन छह मांगों को सरकार द्वारा नकारे जाने के कारण अभी पूर्व सैनिकों का प्रदर्शन जारी रहेगा। पर्रिकर ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन पिछले 40 साल से लंबित था। ओआरओपी के लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपये रखें जाएंगे। समय के मुताबिक बजट बढ़ाया जाएगा। सरकार ने फरवरी 2014 में इसके लिए महज 500 करोड़ रुपये रखे थे। लेकिन इसके लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपये चाहिए।
उधर, आंदोलनकारी पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधि रिटायर्ड जनरल सतबीर सिंह ने फैसले का स्वागत किया लेकिन वीआरएस (पीएमआर) सहित कुछ मुद्दों पर असहमति जताई। सतबीर ने कहा कि ओआरओपी जो 40 साल से नहीं हुआ, उस कांसेप्ट को सरकार ने अप्रूव कर दिया। ये हर 5 साल के बाद कमीशन होगा। सरकार ने जो अप्रूवल दिया है वो अच्छा है, हम संतुष्ट हैं। वीआरएस पर अभी हम बात करेंगे। ओआरओपी लागू करने की मांग को लेकर यहां जंतर मंतर पर पूर्व सैन्यकर्मियों के आंदोलन को आज 83 दिन हो गए। सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों ने यह साफ किया कि वे अपनी मांग की इस आधारभूत अवधारणा पर कोई समझौता नहीं करेंगे कि किसी भी वरिष्ठ को कभी भी अपने कनिष्ठ से कम पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। पूर्व रक्षाकर्मियों ने यह भी कहा कि ओआरओपी उन पर भी लागू हो जिन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है और पेंशन ले रहे हैं और उन पर भी लागू हो जो विकलांगता पेंशन ले रहे हैं।