हिन्दी विरासत को सुरक्षित करना हम सबका दायित्व: मोदी

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भोपाल। पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश में हिन्दी के लिए ज्यादा आंदोलन उन लोगों ने चलाया जिनकी मातृभाषा नहीं थी। 32 साल बाद भारत में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया है। पीएम ने कहा कि सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। भोपाल में हिन्दी का ये महाकुंभ हो रहा है और भाषा में ज्ञान का भंडार है। उन्होंने कहा कि हिन्दी की विरासत को सुरक्षित रखने का दायित्व हमसब पर है। उन्होंने कहा कि हिन्दी की ताकत का अंदाजा है मुझे और अगर मैं हिन्दी न जानता तो लोगों तक नहीं पहुंच सकता था। यह भाषा लोगों को जोड़ते हुए आगे बढ़ती है। पीएम ने कहा कि भाषा एक मचलता हुआ हवा का झोंका है
जैसे जीवन में चेतना, वैसे भाषा में भी। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है। चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखने का मौका मिला, भाषा सरलता से सीखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि चीन में गया था, वहां हिन्दी भाषा जानने वाले का अलग कार्यक्रम हुआ, वे बहुत बढिय़ा जानते थे। मंगोलिया में भी हिन्दी भाषा जानने वाले लोग नजर आए, रूस में हिन्दी भाषा पर बहुत काम हो रहा है। फिल्म इंडस्ट्री ने भी विदेशों में हिन्दी पहुंचाने का बहुत बड़ा काम किया है। अर्थशास्त्रियों ने 21वीं सदी के अंत तक इसमें से 90 प्रतिशत भाषाएं लुप्त होने की बात की है। ये चेतावनी हम न समझे और हमारी भाषा को ध्यान नहीं रखा तो रोना पड़ सकता है। पीएम ने कहा कि फणीश्वर नाथ रेणु, प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद न होते समाज को कैसे समझते। जो टेक्नोलॉजी के जानकार हैं, उनका कहना है कि डिजीटल वल्र्ड में तीन ही भाषाओं का दबदबा होगा, अंग्रेजी, चीनी और हिन्दी है। इससे पहले एयरपोर्ट से उतरने के बाद मोदी ने कांग्रेस पर भी जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि हवालाबाज लोग हमको हवाबाज कह रहे हैं।