ये पैसा-पैसा करती है: पंचायत चुनाव में दलित वोटों की सौदागर बनीं मायावती

mayawati newलखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती पर सैकड़ों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले का आरोप है और सीबीआई का शिकंजा इसी पैसे के कारण कसता भी जा रहा है मगर मायावती की पैसे की भूख शांत नहीं हो रही है। मायावती पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप है और यह आरोप खुद उन्हीं की पार्टी से निकले और निकाले गये नेता लगाते हैं। इन नेताओं में जुगुल किशोर, अखिलेश दास भी शामिल हैं। मायावती की पैसे की भूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अब पंचायत चुनाव में भी समर्थन देने के लिए उम्मीदवारों से पैसों की डिमांड कर रही हैं। उनकी इस डिमांड को उनके द्वारा विधानसभा क्षेत्रों में बनाये गये कोआर्डीनेटर पूरा करवाने में लगे हैं। मायावती इस डिमांड से कई जगहों पर तो उम्मीदवारों ने बसपा से समर्थन लेने को ही मना कर दिया है। सही शब्दों में कहा जाये तो मायावती दलित वोटों का लालच देकर वोटों की सौदागर बन गयी हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चर्चा यह है कि दलित वोटों की इस सौदेबाजी को अमली जामा उनके खास सिपहसालार नसीमुद्दीन सिद्दीकी पहना रहे हैं और उन्हीं की रायशुमारी के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती ने पैसा कमाने के लिए पंचायत चुनाव को चुन लिया है। जानकारी के अनुसार पश्चिमी यूपी में मायावती उम्मीदवारों को समर्थन देने की एवज में 10 से 15 लाख रुपये तक ले रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों को समर्थन का रेट 2.50 से 5 लाख रुपये है। इस लूटमारी का आलम यह है कि सिम्बल मिलने का समय करीब है तो ऐसे में पार्टी कोआरडीनेटर 50 हजार रुपये तक वसूल कर ले रहे हैं। उम्मीदवारों से विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पैसे लेना और फिर टिकट देना बसपा की आदत बन गयी है और इसी आदत का प्रयोग पंचायत चुनाव में भी हो रहा है। जानकारों का कहना है कि मायावती दलित वोटों की खरीद फरोख्त कर रही हैं और इसकी अगर सीबीआई से जांच करा ली जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। बहरहाल पूरे यूपी में पंचायत चुनाव हो रहे हैं और बसपा के समन्वयक पैसा वसूलने में मस्त हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन पैसों की मॉनीटरिंग खुद बसपा प्रमुख मायावती अपने सिपहसालार नसीमुद्दीन के माध्यम से कर रही हैं।