बुलंदशहर हिंसा की ‘इंटेलिजेंस जांच’ रिपोर्ट,लापरवाही व मिलीभगत का जिक्र

लखनऊ । बुलंदशहर में सोमवार को गोवंश मिलने के बाद भड़की हिंसा की ‘इंटेलिजेंस जांच’ की रिपोर्ट के बाद पुलिस के कई अधिकारियों पर गाज गिरी है। जिले के एसएसपी केबी सिंह को हटा दिया गया है। उनकी जगह प्रभाकर चौधरी को नया एसएसपी बनाया गया है। केबी सिंह को डीजीपी ऑफिस से अटैच किया किया गया है। हिंसा की जांच एडीजी इंटेलिजेंस एसवी शिरोडकर ने की है। मामले की एसआईटी जांच अभी जारी है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और गोकसी की घटनाओं की सूचना मिलने के बाद भी एफआईआर दर्ज न किये जाने का भी जिक्र है। 
रिपोर्ट के बाद एसपी के साथ स्याना के सीओ सत्य प्रकाश शर्मा को पुलिस टेनिंग कालेज मथुरा, चिंगरावटी पुलिस चौकी प्रभारी सुरेश कुमार को ललितपुर तबादला कर दिया गया है। ध्यान रहे शहीद इस्पेक्टर सुबोध कुमार स्याना थाने के प्रभारी थे। चिंगरावटी चौकी इसी थाने का हिस्सा है। जहां सोमवार की हिंसक घटनाएं हुई थी। 
सूत्रों के अनुसार एडीजी इंटेलिजेंस एसपी शिरोडकर ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस की लापरवाही व मिलीभगत का जिक्र किया है। रिपोर्ट में पूरे विस्तार से हिंसा के घटनाक्रम की जानकारी भी है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, घटना 3 दिसंबर सुबह 9.30 बजे हुई, लेकिन पुलिस ने वहां पहुंचने में देरी कर दी। गोकशी की सूचना आने के बाद सीईओ और एसडीएम को मौके पर भेजा गया था, वहां पहुंच अधिकारियों ने गोवंश के अवशेष से लदी ट्रॉली को रास्ते में रोकने की कोशिश की। लेकिन अधिक फोर्स ना होने के कारण लोगों को जाम लगाने से नहीं रोका जा सका। जब वहां हंगामा कर रहे लोगों ने जाम लगाया, तो स्थानीय अधिकारियों को इसकी जानकारी थी। 
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर वक्त पर पुलिस पहुंच गई होती, तो अतरौली में गोवंश के अवशेष ढोये जाने से रोका जा सकता था। ये भी कहा गया है कि ट्रॉली में गोवंश ले जाने की वजह से ही वहां पर हिंसा भड़की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक लोगों ने गोकसी की एफआईआर दर्ज करवाने व आरोपियों पर रासुका की मांग थी। कॉपी मिलने तक का इंतजार नही किया गया, और इसी दौरान हिंसा हो गई। रिपोर्ट में घटना से जुड़े और पुलिस की भूमिका के कई अहम बिन्दुओं की जानकारी भी दी गई है। 
 
संदिग्ध आरोपी जीतू फौजी आरोपी नंबर 11-
बुलंदशहर हिंसा में हुई इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या में सबसे अहम माना जा रहा जितेंद्र मलिक (जीतू फौजी) पुलिस के शिकंजे में आ गया है। जीतू को कश्मीर के कारगिल से गिरफ्तार किया गया है। जीतू फौजी की गिरफ्तारी को लेकर जनरल बिपिन रावत  ने कहा है कि ‘अगर कोई सबूत होगा और पुलिस उन्हें संदिग्ध मानेगी तो हम उन्हें पुलिस के सामने पेश कर देंगे। हम पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेंगे।’
प्रदेश के आईजी (क्राइम) एसके भगत ने कहा है कि जीतू का नाम स्याना में हिंसा, आगजनी और हत्या के सिलसिले में लिखी गई मूल एफआईआर में आरोपी के तौर पर शामिल है। जीतू का जिक्र आरोपी नंबर 11 के तौर पर है और उसका नाम जीतू फौजी पुत्र राजपाल सिंह लिखा हुआ है। एफआईआर में 27 लोगों को नामजद किया गया है।
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या में जीतू का नाम आने के बाद जीतू का भाई धर्मेंद्र मलिक ने कहा है कि जीतू निर्दोष है और उस फंसाया जा रहा है। धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि स्याना में हुई हिंसा में जीतू को एक षड्यंत्र के तहत फंसाया जा रहा है। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या में जीतू का कोई हाथ नहीं है इसका प्रूफ मेरे पास है और मैं साबित करके रहूंगा। धर्मेंद्र ने कहा कि जिस वक्त इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या हुई थी उस वक्त जीतू घटनास्थल पर नहीं था। वीडियो में पुलिस जिसे जीतू बता रही है वो जीतू नहीं बल्की कोई और है। धर्मेंद्र ने आगे कहा कि मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनती है कि हमारे मदद करें, मेरे भाई जीतू को षड्यंत्र में फंसाया जा रहा है। जीतू का भाई धर्मेंद्र मलिक भी एक फौजी है और वो इस वक्त पूणे में तैनात हैं। वहीं जीतू की मां रतनकौर समेत अन्य परिजन भी उसे निर्दोष बता रहे हैं। जीतू की मां रतनकौर ने कहा था कि घटना के वक्त जीतू मौके पर ही नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर जीतू दोषी साबित हुआ तो वह खुद उसे सजा देंगी।
 
2.48 मिनट का एक वीडियो
गौरतलब है कि हिंसा मामले में 2.48 मिनट का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक युवक को इंस्पेक्टर की लाश के पास से कुछ उठाते हुए दिखाया गया है। इसी युवक पर इंस्पेक्टर को गोली मारने का भी संदेह अधिकारियों को है। इस युवक की शिनाख्त महाव गांव के जीतू फौजी के रूप में होने का दावा किया जा रहा है। उसके बारे में जानकारी करने पर पता चला कि वह कारिगल में तैनात है और हिंसा के बाद ही वह शाम को निकल गया था और अगले ही दिन उसने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी।
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