विधानसभा चुनाव के बाद अब नगर निगम चुनाव की बारी

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। विधानसभा चुनाव के उपरांत अब विभिन्न राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर से मतदाताओं की कसौटी पर परखी जाएंगी। नवंबर माह में नगर निकायों के चुनाव होंगे । इससे डेढ़ माह पूर्व आचार संहिता लागू कर दी जाएगी। ऐसे में जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तथा उनके बकाया कामों को पूरा करने के लिए मैं तथा पार्षदों के महज 6 माह का समय बचा है। यही कारण है कि जिन पार्षदों द्वारा अपने मतदाताओं को बड़े-बड़े आश्वासन दिए गए थे अब उन्हें उनको पूरा करने की चिंता सताने लगी है। नाली खड़ंजा सडक़ सीवर जलापूर्ति की समस्या विजयनगर राज नगर एक्सटेंशन नंद ग्राम तथा खोड़ा जैसी जगहों में महत्वपूर्ण समस्याए है जिन्हें इनमें से कुछ पार्षदों द्वारा अब तक दरकिनार करके रखा गया था। बेशक विधानसभा चुनाव में इन मुद्दों का दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं था परंतु मतदाताओं द्वारा फिर भी इन मुद्दों को जोरशोर से उठाया गया । परंतु अब जबकि नगर निगम चुनाव निकट है पार्षद तथा अन्य जनप्रतिनिधियों को इन समस्याओं पर बचे हुए समय के अंदर ही निराकरण करने के लिए गंभीरता से सोचना होगा। इनमें से सीवर के ओवरफ्लो करने की समस्या सबसे ज्यादा ज्वलंत मुद्दा है। नंद ग्राम, कैला भट्टा, घूकना, विजयनगर, सुदामापुरी, प्रताप विहार, संजय नगर,वैशाली, हिंडन विहार, राजेंद्र नगर, शालीमार गार्डन आदि जगहों में सीवर जाम होने की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। क्षेत्रवासियों की शिकायत पर पार्षदों द्वारा निगम कर्मचारियों को समय अनुसार कॉल भी किया जाता है परंतु कोई सुनवाई नहीं होती । निजी कंपनियों नगर निगम के ठेकेदारों द्वारा भी शिकायतों की अनसुनी की जाती है। इसी प्रकार विभिन्न जगहों पर पानी की निकासी, सडक़ें तथा सफाई आदि कामों में बड़ी लापरवाही बरती गई जिसका खामियाजा पार्षदों को आने वाले निकाय चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।