उप्र में होगी कृत्रिम बारिश, उड्डयन मंत्रालय ने दी मंजूरी,

लखनऊ । प्रदूषण,सूखे से जूझ रहा उप्र में जल्दी ही हवाई जहाज से कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से नागरिक उड्डयन मंत्रालय से कृत्रिम बारिश कराए जाने की अनुमति मांगी गई थी। मंत्रालय ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। उप्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों और प्रदूषित इलाकों में बारिश के लिए कानपुर आईआईटी को नोडल एजेंसी बनाया गया है। आईआईटी को सुपर किंग एयर बी-200 सौंपा गया है। उप्र के प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने कहा है कि फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी एक स्थान पर कृत्रिम बारिश करायी जाएगी। कामयबी मिलने पर बाकी स्थानों पर बारिश का फैसला राज्य सरकार लेगी।
आईआईटी कानपुर के उप-निदेशक प्रो. मणिंद्र अग्रवाल ने बताया कि इसरो से एयरक्राफ्ट मांगा गया था और वह मिल चुका है। हालांकि जिस पायलट को यह काम मिलकर करना है वो फिलहाल बीमार है।
बिना बादल के कृत्रिम बारिश कराना संभव नहीं है। दिल्ली के आसमान में अभी बादल भी नहीं है। इसलिए कृत्रिम बारिश कराने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ेगा।
आईआईटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि कृत्रिम बारिश के लिए कई केमिकल का मिश्रण करके एक सॉल्यूशन तैयार किया गया है जो पहले आसमान में बादल बनाएंगे और फिर उससे बारिश होगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि काफी हद तक उनका यह सॉल्यूशन काम करेगा।
गौरतलब है कि उप्र के कई जिले दिल्ली से भी अधिक प्रदूषित है। जबकि राज्य का बुंदेलखंड क्षेत्र सबसे अधिक सूखा ग्रस्त इलाका है। सबसे प्रदूषित जिलों में लखनऊ, कानपुर, हापुड़, बुलंदशहर , गाजियाबाद, गौतमबु़द्धनगर , संभल, अलीगढ़ कासगंज, बागपत, बंदायू और मेरठ शामिल हैं।
याद रहे आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ सरकार के सामने क्लाउड-सीडिंग (कृत्रिम बारिश) तकनीक का प्रजेंटेशन दे चुके हैं। क्लाउड-सीडिंग में प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकारियों का दावा है कि 5.5 करोड़ रुपये में 1000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराई जा सकेगी।
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