अब ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से पहनिए जूता

rashifalनोएडा। अपने अच्छे-बुरे दिन पर आप भले ही हाथ की लकीरों पर नजरें गड़ाते रहें। मगर, एक वर्ग अब पैरों में भी किस्मत तलाशने लगा है। जरूरत से फैशन तक पहुंचा जूता अब नए दौर में है। आगरा के हुनर और गाजियाबाद की सोच से अब एस्ट्रो शू तैयार होने लगा है। जन्मकुंडली और राशि के हिसाब से जूता बनाया जा रहा है।
एस्ट्रो शू बनाने वाली गाजियाबाद की शू डिजाइनर स्वाति मेहरोत्रा प्रवासी सम्मेलन में शामिल होने आई हैं। उन्होंने बताया कि वह ग्रह-नक्षत्र के हिसाब से जूते बनाती हैं। उनका तर्क था कि जिस तरह हाथ में ग्रह-नक्षत्र होते हैं, वैसे ही पैरों में। हम हाथ में तो रत्न पहन सकते हैं, लेकिन पैरों में नहीं। लिहाजा, इसी सोच के साथ उन्होंने ज्योतिषियों से सलाह ली। अब उनकी कंपनी से 18 ज्योतिषी जुड़े हैं। वह जन्मकुंडली देख कर बताते हैं कि व्यक्ति के कौन से नक्षत्र क्या प्रभाव डाल रहे हैं। फिर उसी हिसाब से लकड़ी या धातु को जूते के तले में डालते हैं। इसी तरह ज्योतिष का पूरा विज्ञान है कि किस राशि के लिए कौन सा रंग बेहतर होगा। स्वाति ने बताया कि 2008 में एफडीडीआइ नोएडा से शू डिजाइनिंग में कोर्स करने के बाद इस कंसेप्ट पर जूता बनाया। विदेशों में इसे स्वीकार किया गया। पेटेंट मेरे नाम से है। फिर हमने गाजियाबाद में भी ऐसा जूता बनाना शुरू कर दिया।स्वाति ने बताया कि उनकी कंपनी में लगभग सभी कारीगर आगरा के ही हैं। इसके पीछे तर्क देती हैं कि यहां जूता कारीगरों के हाथ में हुनर है। उन्हें एक बार बताने पर वही डिजाइन मिलता है। इसके अलावा जूते का सामान भी वह आगरा से ही मंगाती हैं। कोर्स करने के बाद ताजनगरी से ही ट्रेनिंग की थी।वैसे जूता फैक्ट्रियों में एक नाप के फरमे से सैकड़ों जोड़ी जूते तैयार होते हैं। मगर, यहां राशि और जन्मकुंडली सबकी अलग होती है, इसलिए उनकी कंपनी में हर जूते के लिए अलग फरमा बनता है। रेट की शुरुआत ढाई हजार रुपये से है।