श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: जन्मभूमि से लेकर कर्मभूमि तक उल्लास

Shree-Krishnaनई दिल्ली। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी और उनके जन्म नक्षत्र रोहिणी के पावन संयोग में मनेगी। इस दिन अष्टमी उदया तिथि में और मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी।
विशेष संयोग के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनेगा। अष्टमी तिथि 25 अगस्त को रात्रि 8.13 बजे तक रहेगी। इससे पूरे समय अष्टमी तिथि का प्रभाव रहेगा। इसके साथ ही मध्य रात्रि भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। इससे कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म के समय बनने वाले संयोगों के साथ विशेष फलदायी रहेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडे ने गुरुवार को उदयाकाल की तिथि में व्रत जन्मोत्सव मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। कृष्ण जन्मोत्सव के दिन मंदिरों सहित घर-घर भगवान के झूले सजेंगे और विशेष आराधना होगी। मंदिरों में मोहक झांकी के साथ ही भगवान के दर्शन होंगे। विभिन्ना मंदिरों में मध्य रात्रि भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान को झूला झुलाने और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों की कतार लगेगी। बाल-गोपाल की रहेगी धूम विभिन्ना चौक-चौराहों पर दही-हांडी की प्रतियोगिता होगी। गीत-संगीत के साथ ही बाल-गोपालों की धूम रहेगी। बाजे-गाजे के साथ ही गोपालों की टोलियां निकलेंगी और दही-हांडी प्रतियोगिता के साथ कृष्ण जन्मोत्सव देर रात्रि तक रहेगा।
भगवान श्रीकृष्ण के आगमन के लिए पूरा ब्रजमंडल हर्षोल्लासित है। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। जन्माष्टमी मनाने के लिए देश विदेश से कृष्ण-भक्त मथुरा में जुट चुके हैं। मथुरा के साथ ही उन्हें वृंदावन, गोकुल, महावन, बलदेव, बरसाना, नंदगांव आदि में भी भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह का दर्शन हो पाएगा। ब्रज के मंदिर भी सज-धज कर पूरी तरह तैयार हो गए हैं। श्रीकृष्ण जन्म स्थान, वृंदावन के इस्कॉन, प्रेम मंदिर और बांके बिहारी, नंदगांव के नंद भवन, बरसाना के लाडि़ली जी मंदिर एवं गोकुल के प्रमुख मंदिरों में नयनाभिराम लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक इस बार चांदी के अष्टदल कमल में होगा। कान्हा को सतरंगी पोशाक पहनाई जाएगी। रोशनी में पोशाक की झिलमिलाती पत्तियां श्रद्धालुओं का मन मोह लेंगी। यह पोशाक उदयपुर, मथुरा और हाथरस के कारीगरों ने तैयार की है। जन्म स्थान पर होने वाले अभिषेक में पहली बार चांदी के कलश का इस्तेमाल होगा। इस कलश पर नौ देवियों के चित्र उकेरे गए हैं और कलश के ऊपर रखा जाने वाला नारियल भी चांदी के आवरण में बंद रहेगा। द्वारिकाधीश मंदिर में भी कान्हा के जन्म की विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर प्रबंधन ने प्रसाद रूप में वितरित होने वाली सामग्री अभी से बनानी शुरू कर दी है। यहां जन्म के अगले दिन केसर, मिसरी और दही मिश्रित प्रसाद का वितरण बड़े पैमाने पर होगा।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर ठा. बांकेबिहारीजी का महाभिषेक होगा। महाभिषेक के अवसर पर जिस वस्त्र को ठाकुरजी धारण करेंगे उसका चीर भक्तों को सौभाग्य प्रदान करेगा। बांकेबिहारीजी, राधाबल्लभ जी, राधारमण जी, राधाश्यामसुंदरजी और अनेकों मंदिर के अलावा घर-घर ठाकुरजी का महाभिषेक होगा। इस मौके पर जो वस्त्र ठाकुरजी धारण करते हैं, मान्यता है इस वस्त्र की एक चीर अगर ठाकुरजी के भक्त के पास है तो उसे किसी भी काम में असफलता नहीं मिलती। भाग्य और ठाकुरजी का आशीर्वाद उसके साथ रहता है। यही कारण है कि महाभिषेक होने के बाद पंचामृत का प्रसाद और कपड़े की चीर लेना श्रद्धालु नहीं भूलते।