नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले की तुलना में करीब तीनगुना ज्यादा तीव्र है, यह नतीजा आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने निकाला है। संक्रमण की इस तेज वजह के पीछे चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ चार प्रमुख कारण मानते हैं। इनमें कोरोना के नए प्रकारों का फैलाव, पूर्व में संक्रमित हो चुके लोगों में प्रतिरोधक क्षमता का खत्म होना, भारत में कोरोना वायरस में दोहरे बदलाव (डबल म्यूटेशन) और कोरोना अनुकूल व्यवहार के पालन में भारी लापरवाही। सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के हाल में प्रकाशित शोध में दावा किया गया कि एक बार संक्रमित हो चुके लोगों में छह महीने बाद जब इम्यूनिटी के स्तर की जांच की गई तो 70 फीसदी में ही न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज पाई गईं जो दोबारा संक्रमण को रोकने में कारगर हैं। जबकि 30 फीसदी लोगों में यह करीब-करीब समाप्त होती दिखी। आईजीआईबी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि इसका मतलब स्पष्ट है कि यदि तीन लोगों को कोरोना हो चुका है तो छह महीने बाद उनमें से एक व्यक्ति को फिर से संक्रमण हो सकता है। लेकिन बाकी दो लोगों को संरक्षण कब तक मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि अध्ययन छह महीने के अंतराल पर किया गया है। यह अध्ययक्ष 24 शहरों में करीब संक्रमित हो चुके 200 लोगों पर किया गया।
भारत में कोरोना संक्रमण तेज होने के 4 कारण
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