बोले मोदी: वित्त प्रौद्योगिकी क्रांति में बदलने की जरूरत

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि देश के हर नागरिक के लिए वित्तीय सशक्तिकरण सुनिश्चित करने की खातिर वित्त प्रौद्योगिकी पहल को वित्त प्रौद्योगिकी क्रांति में बदलने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने ‘इन्फिनिटी मंच’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि वित्त प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योग का स्तर व्यापक हो गया है और इसने जनता के बीच स्वीकार्यता पायी है। उन्होंने कहा, “अब, इन वित्त प्रौद्योगिकी (फिनटेक) पहल को वित्त प्रौद्योगिकी क्रांति में बदलने का समय आ गया है। वह क्रांति जो देश के हर एक नागरिक के वित्तीय सशक्तिकरण में मदद करेगी। मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी वित्त में एक बड़ा बदलाव ला रही है, और पिछले साल मोबाइल से किया जाने वाला भुगतान, एटीएम कार्ड से की जाने वाली पैसों की निकासी से अधिक था। उन्होंने एक और उदाहरण देते हुए कहा कि प्रत्यक्ष शाखा कार्यालयों के बिना काम करने वाले डिजिटल बैंक पहले से ही एक वास्तविकता हैं तथा एक दशक से भी कम समय में ये आम हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे-जैसे इंसान ने प्रगति की, वैसे-वैसे हमारे लेनदेन का रूप भी बदला। वस्तु विनिमय प्रणाली से धातु तक, सिक्कों से नोटों तक, चेक से लेकर कार्ड तक, आज हम यहां पहुंच गए हैं। यह देखते हुए कि भारत ने दुनिया के सामने यह साबित कर दिया है कि प्रौद्योगिकी अपनाने के मामले में वह किसी से पीछे नहीं है, उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के तहत परिवर्तनकारी पहल ने शासन में लागू होने वाले नवोन्मेषी वित्त प्रौद्योगिकी समाधानों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। मोदी ने प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में भारत के वित्तीय समावेशन अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि 2014 में 50 प्रतिशत से कम भारतीयों के पास बैंक खाते थे, भारत ने पिछले सात वर्षों में 43 करोड़ जन धन खातों के साथ इसे लगभग सार्वभौमिक बना दिया है। उन्होंने 69 करोड़ रुपे कार्ड जैसी पहल का भी उल्लेख किया जिसमें पिछले साल 1.3 अरब लेनदेन हुए थे। मोदी ने इसके अलावा यूपीआई की भी बात की और कहा कि यूपीआई के जरिए पिछले महीने लगभग 4.2 अरब लेनदेन हुए। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी (माल एवं सेवा कर) पोर्टल पर हर महीने 30 करोड़ बिल अपलोड किए जा रहे हैं। उन्होंने वित्तीय समावेशन को वित्तीय प्रौद्योगिकी क्रांति का चालक बताते हुए कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी चार स्तंभों – आय, निवेश, बीमा और संस्थागत ऋण पर टिकी हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब आय बढ़ती है, तो निवेश संभव हो जाता है। बीमा कवरेज अधिक जोखिम लेने की क्षमता और निवेश को सक्षम बनाता है। संस्थागत ऋण विस्तार का मौका देता है। और हमने इनमें से हर स्तंभ पर काम किया है। जब ये सभी कारक एक साथ आते हैं, तो आप अचानक देखते हैं कि और भी लोग वित्तीय क्षेत्र से जुड़ चुके हैं।”