धर्मगुरुओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से मुक्ति मिले

ललित गर्ग। आज धर्म एवं धर्मगरुओं का व्यवहार एवं जीवनशैली न केवल विवादास्पद बल्कि धर्म के सिद्धान्तों के विपरीत हो गयी है। नैतिक एवं चरित्रसम्पन्न समाज बनाने का नारा देकर तथाकथित धर्मगुुुरुओं ने अपने भौतिक एवं आर्थिक साम्राज्य के विस्तार के लिये अशांति, अपवित्रता, असन्तलन एवं अंधकार को फैलाया है। राजनीति की ओर उनकी रवानगी, उनका व्यवसायी हो जाना, उनके सैक्स स्कैंडल का उछलना, उनके द्वारा महिलाओं का शोषण किया जाना गहरी सामाजिक बहस की मांग करता है। हाल में हमारे देश में ऐसे ही अनेक धर्मगुरुओं का उभार हुआ…

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नारी पूजनीय तो अत्याचार क्यों?

ललित गर्ग। विश्व महिला दिवस महिलाओं के अस्तित्व एवं अस्मिता से जुड़ा एक ऐसा दिवस है जो नारी शक्ति की सार्थक अभिव्यक्ति देता है। इसमें जहां नारी की अनगिनत जिम्मेदारियों के सूत्र गुम्फित हैं, वही नारी पर घेरा डालकर बैठे खतरों एवं उसे दोयम दर्जा समझे जाने की मानसिकता को झकझोरने के प्रयास भी सम्मिलित है। यह दिवस नारी को शक्तिशाली और संस्कारी बनाने के साथ-साथ उसके विकास की नवीन दिशाओं को उद्घाटित करने का अनूठा माध्यम है। वैयक्तिक स्वार्थों को एक ओर रखकर औरों को सुख बांटने और दु:ख…

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कब केजरीवाल रूपी ‘ग्रहण’ दिल्ली से हटेगा?

ललित गर्ग। अरविन्द केजरीवाल एवं उनकी सरकार हर दिन किसी नये घोटाले, भ्रष्टाचार के संगीन मामले, किसी अजीबोगरीब घटनाक्रम को लेकर चर्चित रही है और अब दिल्ली के मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री निवास पर बुलाकर जिस तरह बेइज्जत किया गया है, उनके साथ मारपीट की गयी उसने तो सारी हदे पार पर दी है। यह घटना भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाली घटना है। जिसने सिद्ध कर दिया है कि दिल्ली पर ऐसे लोगों की शासन है जिनकी निगाहों में संविधान और लोकतन्त्र द्वारा प्रदत्त विभिन्न शक्तियों और अधिकारों…

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दरकते रिश्तों से खण्डित होता समाज

ललित गर्ग। अपनी ही बेटी-बहू के साथ बलात्कार की रोंगटे खड़ी कर देने वाली दर्दनाक, वीभत्स, डरावनी खबरों को पढ़कर देश की संवेदना थर्रा जाती है, खौफ व्याप्त हो जाता है और हर कोई स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। ऐसी घटनाएं देशभर में बढ़ रही हैं। क्या हो गया है लोगों को-सोच ही बदल चुकी है। रिश्ते और उनकी मर्यादाएं भारतीय संस्कृति पहचान हुआ करते थे, आज उनकी मर्यादा एवं शालीनता खंडित हो रही है। यही वजह है कि आपसी रिश्तों में मिठास अब नाममात्र की रह गई है।…

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गुजरात में आदिवासी आन्दोलन क्यों?

ललित गर्ग। असंवैधाानिक एवं गलत आधार पर गैर-आदिवासी को आदिवासी सूची में शामिल किये जाने एवं उन्हें लाभ पहुंचाने की गुजरात की वर्तमान एवं पूर्व सरकारों की नीतियों का विरोध इनदिनों गुजरात में आन्दोलन का रूप ले रहा है। समग्र देश के आदिवासी समुदाय का नेतृत्व करने वाले गुजरात के आदिवासी समुदाय के प्रेरणापुरुष गणि राजेन्द्र विजयजी इस ज्वलंत एवं आदिवासी अस्तित्व एवं अस्मिता के मुद्दे पर सत्याग्रह कर रहे हैं। अनेक कांग्रेसी एवं भाजपा के आदिवासी नेता भी उनके साथ खड़े हैं। गुजरात के आदिवासी जनजाति से जुड़े राठवा…

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