मंत्रियों की बर्खास्तगी: देर से उठाया गया अधूरा कदम

cm1योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले सीएम अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मंशा के अनुरूप गुरूवार को मंत्रिमंडल से आठ लोगों की छुट्टïी कर नौ लोगों के विभाग छीन लिए। अब इन नौ मंत्रियों को विभाग विस्तार के बाद आवंटित किए जाएंगे। सीएम अखिलेश यादव का यह फैसला देर से उठाया गया अधूरा फैसला कहा जा सकता है। आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी के बाद भी अभी मंत्रिमंडल में ऐसे कई सदस्य है जो समय-समय पर अपनी कारगुजारियों से सरकार और संगठन दोनों की फजीहत कराते रहे है। सपा के प्रमुख मुलायम सिंह यादव सरकार गठन और लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से कई मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके थे। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को मिली करारी शिकस्त की वजह सपा प्रमुख भाजपा की लहर के अलावा अपनी सरकार के मंत्रियों की नाकामी भी मानते है। यही नहीं जिन मंत्रियों को हटाया गया उनमें कई पर सपा नेतृत्व की नसीहतों की अनदेखी के अलावा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के भी आरोप थे। गुरूवार को जो आठ मंत्री हटाए गए उनमें बलिया के दो नारद राय और अंबिका चौधरी भी शामिल है।अंबिका चौधरी 2012 के विधानसभा चुनाव में पराजित हो गए थे उसके बावजूद उन्हे न सिर्फ मंत्री बनाया गया बल्कि मंत्री बनाए रखने के लिए उन्हे एमएलसी भी बनाया गया। राजस्व विभाग का मंत्री रहते हुए उनके खिलाफ काफी शिकायते आने पर उनसे राजस्व विभाग लेकर उन्हे पिछड़ा वर्ग और युवा कल्याण विभाग का मंत्री बना दिया गया। ठीक विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा से सपा में आए राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह और शिवाकांत ओझा को भी मंत्री पद से मुक्त कर दिया गया दोनों ही भाजपा सरकारों में मंत्री रह चुके थे। इसके अलावा शिव कुमार बेरिया ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी उलजुलूल बयानबाजी से सपा नेत्ïत्व की किरकिरी करा चुके है। मंत्रियों की बर्खास्तगी की यह पहली कार्रवाई नहीं है इससे पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान कृषि मंत्री आनंद सिंह तथा राज्यमंत्री नरेन्द्र सिंह यादव व बलात्कार के आरोपी मनोज पारस को बर्खास्त किया जा चुका है। बर्खास्त हुए मंत्रियों में अधिकांश मुलायम ङ्क्षसंह यादव के नेतृत्ववाली सपा सरकार में मंत्री रह चुके थे। यही स्थिति उन नौ मंत्रियों की भी जिन नौ के विभाग छीने गए है। जिन नौ मंत्रियों के विभाग छीने उनमें से अधिकांश सपा की पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री रहे है। जबकि महेन्द्र अरिदमन सिंह,और शिवाकांत ओझा विधानसभा चुनाव 2012 में सपा में शामिल हुए थे। अरिदमन सिंह सरकार गठन के समय ही मंत्री बने थे जबकि ओझा को मंत्री बनने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा था। इसके अलावा बाकी मंत्री भी पूर्ववर्ती सपा सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे है। रघुराज प्रताप सिंह से पहले कुंडा के जियाउल हक हत्यकांड में इस्तीफा लिया जा चुका है सीबीआई द्वारा संबंधित मामलें में क्लोजर रिपोर्ट लगने के बाद उन्हे पुन: मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। 31 अक्तूबर को होने वाले विस्तार के बाद नए सिरे विभागों के बंटवारे में इनमे से कुछ को महत्वपूर्ण विभाग देकर उनका कद बढ़ाया जा सकता है जबकि कुछ को केवल मंत्री बनाए रखने की गरज से कोई महत्वहीन विभाग दिया जा सकता है।