सरकार यदि कायदे से बात करे तो वह तैयार : काशीनाथ

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वाराणसी। लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद साहित्यकारों का साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला जारी है। अस्सी घाट पर साहित्यकार काशीनाथ सिंह अब इसके लिए जनसमर्थन लेने उतरे। हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से काशीनाथ सिंह अब इस मामले को जनआंदोलन का रूप देते दिखाई पड़ रहे हैं। वहीं, इससे इतर कुछ साहित्यकार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अब तक अपना पुरस्कार तो नहीं लौटाया, लेकिन पुरस्कार वापसी करने वालों के समर्थन में ऊपरी तौर से खड़े हैं। कवि ज्ञानेंद्रपति, जो देश में असहिष्णुता का माहौल होने की बात स्वीकार करते हुए उन साहित्यकारों के साथ तो हैं जिन्होंने पुरस्कार लौटाया, लेकिन उनके साथ सरकार से एक मंच पर संवाद करने से कतरा रहे हैं। सरकार से बात करने को तैयार केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा साहित्यकारों से अपने सुझाव सरकार को दिए जाने और आमने-सामने बैठकर बात किए जाने के मामले पर काशीनाथ सिंह ने कहा कि अभी हमारे तक यह बात नहीं आई है। यदि ऐसी बात होती है तो सभी साहित्यकार, वैज्ञानिक जो कोई पुरस्कार लौटा रहा है सब मिलकर इस पर विचार करेंगे। वहीं अगर बात आमने- सामने बैठकर बात करने की है तो सरकार यदि कायदे से बात करे तो वह तैयार हैं। हालांकि अभी कुछ लोग हैं जिन्होंने मजबूरी में पुरस्कार नहीं लौटाया है क्योंकि एक लाख रुपए कम नहीं होते हैं। लेकिन जिन लोगों ने पुरस्कार लौटाया है वे खुद विचार करके ऐसा किए है किसी के कहने पर नहीं लेकिन सरकार के केंद्रीय मंत्री जो बयान दे रहे हैं की किसी के बहकावे में आकर साहित्यकार पुरस्कार लौटा रहे हैं। इसी बात से नाराज होकर मैंने पुरस्कार लौटाया है। ज्ञानेन्द्रपति पुरस्कार लौटाने वालों का समर्थन तो करते हैं, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप पुरस्कार लौटाने वालों के साथ सरकार पर एक मंच पर संवाद करने के लिए जाएंगे तो उन्होंने सवाल को ही नाजायज करार दे दिया। कहा कि यह पूछना ही नाजायज है। ये जो इसके लिए आमंत्रित कर रहे हैं वही पूछे तो मतलब होता है, ये हाइपोथेटिकल सवाल है। उन्होंने कहा,मैं अलग से कोई मीटिंग करने या किसी से मिलने का कोई बहुत उत्सुक नहीं हूं। जैसा कि मुनव्वर राणा के मामले में देखा गया है, मैं मुनव्वर राणा नहीं हूं।