हाईकोर्ट: रेप के बाद हुआ बच्चा तो पिता की सम्पत्ति में मिलेगा हिस्सा

Allahabad-High-Courtइलाहाबाद। बढ़ते रेप के मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। फैसले के मुताबिक अब रेप से जन्मे बच्चे को अपने जैविक पिता की संपति में अधिकार होगा। न्यायालय ने हालकि यह भी कहा कि यह फैसला उस पर्सनल लॉ के अनुसार होगा जिससे बच्चे का ताल्लुक है। न्यायलय ने फैसला सुनाया कि उस बच्चे को अपने जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा। अगर बच्चे को कोई और गोद लेता है तो फिर बच्चे के पास पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नही होगा। 13 साल की एक रेप पीडि़ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जस्टिस साबिलहुल हसनैन और जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए है कि वो इस बच्ची को 10 लाख रुपये की अदा करे। न्यायलय ने सरकार को बच्ची के व्यस्क हो जाने पर उसे नौकरी दिलाने की भी बात की है। न्यायलय ने पीडि़ता की पहचान छुपाने के लिए उसके नाम की जगह ए नाम का इस्तेमाल किया।
इसी साल उसके साथ रेप की घटना घटित हुई जिसके बाद वो गर्भवती हो गई। हाल ही में उसने एक बच्ची को जन्म दिया है। जब तक पीडि़ता के परिवार को उसके गर्भवती होने की बात पता चली तब तक गर्भपात करवाने के लिए तय 21 सप्ताह का समय खत्म हो चुका था। उसके परिवार ने कोर्ट मे गर्भपात करवाने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने डॉक्टर्स को उसके गर्भपात और उससे होने वाले असर के बारे में बताने को कहा। जिसके डॉक्टर्स ने कोर्ट को बताया कि गर्भपात करवाने से पीडि़ता की जान भी जा सकती है।
पीडि़ता ने कहा कि वो बच्चे को गोद देना चाहती है क्योकि बच्चे के साथ समाज में उसकी स्थिति शर्मनाक हो जाएगी। न्यायलय ने एक वरिष्ठ पैनल बनाकर उनसे बलात्कार से पैदा हुए बच्चों को जायदाद में अधिकार देने वाले मुद्दे पर अपनी राय देने को कहा। न्यायलय ने कहा कि उत्तराधिकारी से संबंधित मुद्दे में बच्चे के जन्म की परिस्थितिया अप्रसांगिक है। बच्चे के जायदाद के हिस्से संबंधित अधिकार नियम उस व्यक्ति या परिवार के पर्सनल लॉ के द्वारा तय किए जाते है। जिस बच्चे ने जन्म लिया है वो रेप को नतीजा है या मर्जी से बनाए हुए संबंध का, यह अप्रसांगिक है।
इसलिए नवजात बच्चे के उत्तराधिकार संबंधी नियम उस पर्सनल लॉ के अनुसार होगा जिससे बच्चे और उसके परिवार का संबंध है। इसलिए बच्चे का उस जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा। इस मौजूदा केस पर न्यायलय ने कहा कि नवजात बच्ची को गोद दे दिया जाएगा। न्यायलय ने कहा है कि अगर बच्ची को गोद दे दिया जाता है तो उसका अपने जैविक पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नही होगा। और अगर उसे कोई गोद नही लेता है तो कोर्ट के निर्देश के बिना ही उसे अपने पिता के धर्म के मुताबिक संपत्ति में अधिकार मिल जाएगा।