मधेसियों की मांग पूरी करने पर नेपाल हुआ राजी

constitution-nepalकाठमांडू। मधेशियों की मांगें पूरी करने के लिए नेपाल सरकार संविधान में बदलाव करने को राजी हो गई है। तीन बड़े दलों सत्ताधारी यूसीपीएन माओवादी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेताओं की बैठक में इस संबंध में संसद में विधेयक लाने का फैसला किया गया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में बैठक हुई। यूसीपीएन माओवादी के उपाध्यक्ष नारायण काजी श्रेष्ठ ने बताया कि मधेशी दलों से सलाह मशविरे के बाद विधेयक लाया जाएगा।
स्थानीय मीडिया के अनुसार आंदोलन समाप्ति के लिए सत्ताधारी व विपक्षी दलों ने मधेशी दलों से अलग-अलग बात भी की है। सप्तारी जिले में रविवार को एक राजमार्ग से जबरन नाकेबंदी हटाने की कोशिश के दौरान पुलिस गोलीबारी में चार मधेशी प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद से आंदोलन समाप्त कराने को लेकर सरकार दबाव में है। इस घटना के बाद से तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहा संविधान विरोधी आंदोलन फिर से हिंसक हो गया है। सप्तारी सहित कई जगहों पर लोगों ने कफ्र्यू तोड़कर प्रदर्शन किया। राजबिराज में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे। नवलपरासी, कपिलवस्तु, राजविराज, सरलाही में भी बल प्रयोग करना पड़ा। सरकार ने भारत से लगी सीमा और प्रमुख राजमार्गो से भी मधेशी प्रदर्शनकारियों को हटाने का फैसला किया है। गृह मंत्रलय के प्रवक्ता ने बताया कि दक्षिणी तराई क्षेत्र में बढ़ती हिंसा से निपटने के लिए विशेष सुरक्षा योजना के तहत यह फैसला किया है। अशांत इलाकों में नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय जांच ब्यूरो के कर्मचारियों की भारी तैनाती की गई है। तराई क्षेत्र में सेना की तैनाती को लेकर असमंजस बरकरार है। ज्ञात हो, नए संविधान में बनाए गए संघीय प्रांतों का फिर से सीमांकन करने की मांग कर रहे मधेशियों ने दो महीने से सीमा की नाकेबंदी कर रही है। इससे नेपाल आवश्यक वस्तुओं की किल्लत से जूझ रहा है।
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