माया बोलीं: मोदी सरकार का विस्तार एक नाटकबाजी

mayawatiलखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में आज हुये विस्तार को ख़ासकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड राज्य में होने वाले विधानसभा आमचुनाव से पूर्व एक और चुनावी नाटकबाज़ी कऱार देते हुये कहा कि चुनाव पूर्व इस प्रकार की अनेकों नाटकबाज़ी पहले कांग्रेस पार्टी की सरकारें भी करती रहती थी, जिसके पद चिन्हों पर ही अब केन्द्र की भाजपा सरकार भी चल रही हैै।
मायावती ने नरेन्द्र मोदी का अख़बारों के माध्यम से किया गया यह दावा लोगों को काफी वरग़लाने वाला ही है कि बजट जिन बातों पर केन्द्रित था, मंत्रिमण्डल विस्तार उन बातों पर बल देने के लिए किया जा रहा है। वास्तव में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में आज किया गया विस्तार देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा आमचुनाव व ख़ासकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में शीघ्र ही होने वाले आमचुनाव को ध्यान में रखकर ही किया गया है।
इस विस्तार को नये शिगूफे के तौर पर इस्तेमाल इसलिए भी ख़ासकर किया जा रहा है क्योंकि केन्द्र की सरकार ने अपने दो वर्षों से अधिक के अब तक के कार्यकाल में केवल बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के लिये व उनके ही हित में काम किया है और जनहित व जनकल्याण के साथ-साथ यहाँ गऱीबों, किसानों, मज़दूरों, दलितों, पिछड़ों व मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की तथा अन्य कमज़ोर तबक़ों आदि की पूर्ण उपेक्षा की हैं। इनके हक व हकूक़ पर विभिन्न रुपों में कुठाराघात करने का ही काम ज़्यादातर किया गया है।
इस प्रकार केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के दो वर्षों के उपरान्त कमजोर तबक़ों/वर्गों को मंत्रिमण्डल में छोटी-मोटी जगह देने से देश में व्यापक आबादी रखने वाले इन तबक़ों/वर्गों के लोगों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति आपेक्षित तौर पर सुधरने वाली नहीं है, बल्कि इसके लिए इन वर्गों के हित व कल्याण हेतु पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ ज़रूरी ठोस व बुनियादी कार्य लगातार ही करने होंगे, जिसकी तरफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का ध्यान अभी तक भी नहीं है, ऐसा साफ तौर पर उजागर है।
विभिन्न अख़बारों के सम्पादकों से कल बातचीत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं ही माना है कि महंगाई और बेरोजगारी आदि के ज्वलन्त मुद्दों पर उनकी सरकार जन अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी है और इसी कारण उन्होंने इस तीखें व जनभावनाओं से जुड़ी इस सवाल का कोई सीधा, सटीक व संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह दावा भी पूर्णत: ग़लत व जन-विरोधी ही लगता है कि Óजाति-धर्म नहीं बल्कि विकास हमारा एजेण्डा होगा यू.पी. के अगले चुनाव मेंÓ। वास्तव में उनकी सरकार का अब तक का रिकार्ड तो यही बताता है कि ”विकास” देश के गऱीबों, मज़दूरों, किसानों आदि का तो नहीं हुआ है, परन्तु बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों का विकास इस भाजपा सरकार में अवश्य ही खूब हुआ है।
इतना ही नहीं कल ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार पर यह गम्भीर आरोप लगा है कि उनकी सरकार की कई चहेती कम्पनियों में से एक चहेती आडानी कम्पनी पर पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा लगाया गया लगभग 200 करोड़ रूपये का जुर्माना माफ कर दिया गया है। केन्द्र की भाजपा सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह देश की आमजनता को जवाब देे कि वह ”सत्यमेव जयते” के स्थान पर कोई और जयते क्यों हो गई है, जैसाकि उस पर आरोप लग रहे हैं।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के इस प्रकार के विकास के एजेण्डे की असली हक़ीक़त यहाँ की जनता को समझ में आती जा रही है। वे समझने लगे हैं कि यह सब कहकर उनको छलने का प्रयास किया गया है, क्योंकि इस सरकार की कथनी व करनी में अन्तर है। इनके द्वारा की गई बातें केवल कोरी बयानबाजी व इनके द्वारा किये गये वायदे हवा-हवाई ही होते हैं, जैसाकि सन् 2014 में लोकसभा आमचुनाव के दौरान किये गये अनेकों प्रलोभन-भरे वायदे अभी तक पूरे नहीं किये गये है।