केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट का झटका: अरुणाचल में कांग्रेस सरकार बहाल

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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के विधानसभा सत्र एक महीने पहले बुलाने के फैसले को संविधान का उल्लंघन करार देते हुए राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार को बहाल करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए राज्यपाल के फैसले को गलत ठहराया। संविधान पीठ ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश विधानसभा का सत्र एक माह पहले बुलाने का राज्यपाल का फैसला संविधान का उल्लंघन है और यह रद्द करने लायक है। संविधान पीठ ने यह भी कहा कि विधानसभा की कार्यवाही के संचालन से जुड़ा राज्यपाल का निर्देश संविधान का उल्लंघन है।
संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल के नौ दिसंबर, 2015 के आदेश का पालन करने के मद्देनजर विधानसभा द्वारा उठाए गए सभी कदम और फैसले दरकिनार करने लायक हैं। संविधान पीठ के पांचों न्यायाधीश ने राजखोवा के फैसले को रद्द करने का निर्णय एक मत से लेते हुए राज्य में 15 दिसंबर 2015 से पहले वाली स्थिति कायम रखने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के बागी नेता कालिखो पुल ने भाजपा की मदद से राज्य में सरकार बनाई थी। कांग्रेस के बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री नबाम टुकी को हटा दिया था, जिसके बाद कांग्रेस ने शीर्ष अदालत की शरण ली थी।
बता दें कि उत्तराखंड की तरह अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट चल रहा था। इसके बाद बीजेपी के सहयोग से कांग्रेस के बागी नेता कालिखो पुल ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने 58 में से 40 विधायकों का समर्थन हासिल किया था। उस दौरान विधान सभा सदन में कांग्रेस के 17 विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री नाबाम तुकी अनुपस्थित थे। विधान सभा में विश्वास मत की प्रकिया शुरू हुई तो सदन में उपस्थित विधायकों में से 40 विधायकों ने मुख्यमंत्री पुल के समर्थन में हाथ उठाए। मुख्यमंत्री के समर्थन में हाथ उठाने वाले विधायकों में 11 बीजेपी और 2 स्वतंत्र विधायक भी थे, जिन्होंने पहले लिखित रूप में पुल की कांग्रेसी सरकार का समर्थन किया था। राज्य में 60 विधानसभा सीटें हैं।