इंतजार करें और सस्ता होगा सोना

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फीचर डेस्क। पिछले कुछ सालों में लगातार उठान देख चुका सोना अचानक नीचे की तरफ गोता लगाने लगा है। दुनिया के सभी प्रमुख बाजारों में सोने की बिकवाली का दौर शुरू हो गया है। भारत में भी इसकी कीमतें 2010 से अब तक का सबसे निचला स्तर पार कर चुकी हैं। अभी चार महीने पहले तक सरकार सोने के बढ़ते आयात पर काबू पाने के लिए बेचैन थी।
यूपीए सरकार ने अपनी चला-चली की बेला में इस पर दस फीसदी आयात शुल्क भी इसीलिए लगाया था कि विदेशों से सोना खरीद कर लाने का रुझान शायद इसी तरह थोड़ा कम हो जाए। लेकिन, अभी पहिया दूसरी तरफ घूम रहा है और घुमाव की तेजी इतनी है कि हर कोई हैरान है। बेशक, इसके पीछे कई कारण गिनाए जा सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजह इस संभावना में छुपी है कि अमेरिका में कई वर्षों के इंतजार के बाद सितंबर महीने में ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं। वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की प्रमुख जैनट येलन ने बुधवार को इस बात की पुष्टि कर दी कि अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विस्तार का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकता है।
इसका मतलब यह है कि अमीर निवेशकों के लिए अपना पैसा सोने में (और संभवत: विकासशील देशों के शेयरों में भी) फंसाए रखने का कुछ खास मतलब नहीं रहेगा। दरअसल, बाकी असेट्स बेचकर डॉलर में लौट जाने की यह प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है और इसका सीधा असर सोने की कीमत में दिखाई पड़ रहा है। घरेलू बाजार में हाल तक माना जा रहा था कि मॉनसून को लेकर जाहिर की जा रही तरह-तरह की आशंकाओं ने सोने में बिकवाली को हवा दी है।
लेकिन इधर कुछ दिनों से लगी मॉनसून की झडिय़ां भी सोने के गिरते भाव को रोक नहीं पाई हैं। हकीकत यह है कि रियल एस्टेट में सुस्ती और विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता को देखते हुए पिछले दो-तीन सालों में काले पैसे की तहबाजारी के लिए इतना सारा सोना बाहर से मंगा लिया गया है कि घरेलू बाजार में इसका उतार-चढ़ाव पर्व-त्योहार और शादी-ब्याह जैसे मामलों से स्वतंत्र हो गया है। ऐसे में सस्ते सोने का ट्रेंड अगले कई महीनों तक जारी रहे तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं।