पीएम ने उप्र से बच्चों की मौत पर मांगी रिपोर्ट, सप्लायर का हुआ भुगतान, राजनीति भी तेज

लखनऊ अगस्त। गोरखपुर मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत को केन्द्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री से घटना की जानकारी ली है। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के साथ स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा और 10 डाक्टरों की टीम भी राज्यमंत्री के साथ गोरखपुर पहुंच रही है। जबकि प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह व चिकित्सा शिक्षा मंत्री अशुतोष टंडन गोरखपुर पहुंच कर मौत के आंकड़े को गंभीर बताते हुए कहा कि मेडिकल कालेज के प्राचार्य राजीव मिश्र को निलंबित कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बच्चों की मौतें एक्यूट इंसेफलाइटिस से हुई है, स्वच्छता के जरिये इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने उप्र के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ से फोन पर बात भी की है। उन्होने घटना की पूरी जानकारी मांगी है। इसके बाद ही उप्र सरकार ने मामले की जांच के लिए मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि सभी बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। गैस सिलेंडर से ही वेंटीलेटर चल रहे थे।
बच्चों की मौत के बाद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन सप्लायर पुष्पा सेल्स के बकाये का भुगतान शुरू कर दिया गया है। फर्म के मालिक मनीष भण्डारी ने बताया है कि उनके बकाये में से बी आर डी कालेज ने शनिवार की रात 52 लाख रुपये रिलीज कर दिया है। आक्सीजन सिलेण्डर राजस्थान से चल चुके है रविवार की देर रात तक गोरखपुर पहुंचेंगे। भंडारी ने बताया कि और भी दो कंपनियां कालेज में ऑक्सीजन सप्लाई करती है, हमारी कंपनी रात में सप्लाई करती थी लेकिन बार बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद पैसा न रिलीज करने के चलते सप्लाई रोक दी गई थी। इसकी पूरी जिम्मेदारी कालेज प्रशासन की है ।

बच्चों की मौत पर राजनीति भी
राज्यसभा में नेता विपक्ष कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे कांग्रेस के एक दल ने मरीजों व परिजनों का हालचाल जाना। कांग्रेस दल ने घटना पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस ने कहा कि यह बहुत दुखद घटना है। ये राज्य सरकार की नाकामी का नतीजा है। इस घटना में मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
क्योकि मुख्यमंत्री सांसद रहते हुए मेडिकल कॉलेज की समस्या संसद की पटल पर रखते थे और आज सूबे के मुख्यमंत्री है तो उनकी संवेदना क्यो नही जगी। उन्होने कहा कि 2 दिन पहले मुख्यमंत्री खुद बीआरडी मेडिकल कॉलेज आये जायजा लिया जिसमे हॉस्पिटल प्रशासन ने आक्सीजन की समस्या को रखा था। आजाद ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे मामले में घोर लापरवाही हुई है। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का बकाया 70 लाख रुपया नहीं दिया गया जिसकी वजह से अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई और इतनी जानें गईं। इस मामले में सरकार को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते उनको नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।
इसी घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि गोरखपुर की जो घटना हुई है उसमे सरकार सही जानकारी जनता के सामने नहीं ला रही है। पार्टी ने कई दर्जन बच्चों की मौत के कारणों की जानकारी के लिए टीम बना दी है। टीम में 6 सदस्य है। उन्होंने कहा की सरकार के लापरवाही की वजह से मासूमों की जाने गयी हैं। सरकार कह रही है कि ऑक्सीजन था जबकि सप्लाई की कम्पनी ने नोटिस दे दिया था। जब जाने जा रही थी तो हॉस्पिटल में मरीजों के भर्ती कार्ड को हटाया जा रहा था।
मेडिकल कालेज के लोगो ने सरकार को कितना बड़ा धोखा दिया। पूरा प्रशासन लगा है कि समाजवादी कार्यकर्ता घर पर न रह पाए। यह बड़ी घटना है। हम विपक्ष में है हमारी कुछ सीमाएं है हम मदद नही कर सकते पर आवाज उठा सकते है।
अखिलेश ने कहा कि गोरखपुर मेडिकल कालेज के डॉक्टर को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। सरकार को काम काज करना चाहिए। जनता ने उनको काम करने की लिए चुना है।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी इस घटना पर दुःख जताते हुए मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा माँगा है। उन्होंने कहा कि ये सरकार संवेदनहींन है। लापरवाह है। योगी राज में जनता सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पहले भी गोरखपुर में बच्चों की मौत पर राजनीति चमकायी है। 2007 में राहुल गांधी के गोरखपुर दौरे के बाद तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने मच्छरों के सफाये के लिए एरियल फागिंग प्लेन बुला लिया था। प्रदेश सरकार से अनुमति न मिलने के कारण 15 दिन प्लेन खड़ा रहा फिर वापस चला गया।
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