राष्ट्रगान न गाये जाने पर दी प्रिवेंसन आफ इंसल्टस् नेशनल ऑनर एक्ट के तहत हो सकती है कार्रवाई

लखनऊ । उप्र के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों इस बात की शिकायतें मिली है कि स्वतंत्रता दिवस के दिन कुछ मदरसों में राष्ट्रगान, जन गण मन के बजाए सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा गया है। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार ने कहा बताया है कि हमारे पास अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक 95 प्रतिशत से अधिक मदरसों में पूरे जोश से राष्ट्रगान गाया गया है। फिलहाल इस बारे में कोई रिपोर्ट नही ली गई है। इस पर विवाद के बजाए एक सकारात्मक कदम के रूप में लेना चाहिए।   
बरेली सहित कुछ जिलों में कुछ मदरसों मं राष्ट्रगान न गाये जाने की शिकायत भी की गई है। बरेली के कमिश्नर पीवी जगन मोहन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि शिकायतकर्ताओं से सबूत पेश करने को कहा गया है, क्योंकि हम नहीं चाहते कि ऐसा लगे कि हम किसी का उत्पीड़न कर रहे हैं। जांच में राष्ट्रगान नहीं गाये जाने की बात साबित होती है, और मदरसा प्रबंधन लिखित में स्वीकार करता है, तो उनके खिलाफ केस दर्ज होगा। सबूत मिलता है तो उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।
उप्र मदरसा शिक्षा परिषद ने 3 अगस्त को सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र लिख कर मदरसों को स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रगान गाने और तिरंगा फहराने और राष्ट्रीय एकता के कार्यक्रम करने का सुझाव दिया था। 
पत्र में कहा गया था कि मदरसों से कार्यक्रम आयोजन संबंधी अनुपालन आख्यी की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी प्राप्त कर लें, ताकि उत्कृष्ट श्रेणी के कार्यक्रमों को भविष्य में दोहराया जा सके।’
 
क्या है कानून
‘दी प्रिवेंसन आफ इंसल्टस् नेशनल ऑनर एक्ट 1971’ से देश के झंडे और राष्ट्रगान के अपमान को रोकने का कानून मौजूद है। जिसमें राष्ट्रगान के अपमान पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इस एक्ट को 2005 में संशोधित किया गया है। जिसमें प्रावधान है कि जानबूझ का राष्ट्रगान न गाये जाने या बाधित करने पर तीन साल की सजा हो सकती है।