देश में खादी की बिक्री में भारी गिरावट: मोदी का दावा फेल

नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी लगातार हर कार्यक्रमों में खादी से सम्बंधित बातें तो करते हैं और दावा भी करते हैं कि उनके अभियानों से खादी की बिक्री देश में बढ़ी है मगर हकीकत कुछ और ही है। दावा जो हो मगर जिस प्रकार के आकड़े सामने आ रहे हैं उनसे साफ हो रहा है कि मोदी का दावा केवल हवा हवाई ही है। खादी की बिक्री में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सरकार ने खादी को जीएसटी के दायरे से बाहर नहीं किया जिसका परिणाम यह हुआ है कि लगातार बिक्री में गिरावट हो रही है। पीएम मोदी आकाशवाणी द्वारा प्रसारित कार्यक्रम मन की बात में भी कह रहे थे कि देश में खादी की बिक्री में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। मोदी द्वारा इस बात को ट्विटर पर भी लिखा गया है कि खादी की बिक्री बढ़ी है। चुनावी सभाओं में मोदी घूम-घूम कर प्रचारित कर रहे हैं कि खादी की बिक्री देश में काफी बढ़ गयी है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मोदी के इस बयान की सच्चाई पता करने के लिए जनसंदेश न्यूज पोर्टल ने पड़ताल की तो मोदी के बयान से उलट जानकारी हासिल हुई जोकि काफी चौंकाने वाली है। मिली जानकारी के अनुसार देश भर में अगर देखा जाये तो खादी की बिक्री में करीब 40 फीसदी तक की गिरावट आयी है।
देश में खादी की बिक्री के जो आकड़े सामने आये हैं उससे एक बात तो साफ है कि पीएम मोदी को खादी की बिक्री देश में कितनी हुई है इसकी जानकारी नहीं है। खादी की बिक्री के जो आकड़े मिले हैं उसके अनुसार देश में खादी की बिक्री में इजाफा केवल कुछ फीसदी की हुई है जबकि मोदी के अनुसार यह बढक़र डबल हो गयी है। देश में वर्ष 2013-14 में खादी की बिक्री कुल 1081.04 करोड़ हुई थी और 2014-15 में यह महज 1149.9 तक पहुंच पायी है। जोकि करीब 5.82 फीसदी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मोदी किस आधार पर कह रहे हैं कि खादी की बिक्री देश में दोगुनी हो गयी है। सबसे अहम यह है कि देश के कई राज्यों में खादी की बिक्री ना के बराबर है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में तो हाल काफी बुरा है। सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, गोवा में खादी की बिक्री एकदम नगण्य है। बहरहाल पीएम मोदी भले ही खादी की बिक्री बढ़ाने पर जोर डाल रहे हों और भारत को डिजिटल इंडिया बनाने का सपना दिखा रहे हों मगर इनसब के बाद भी देश में खादी की बिक्री का आकड़ा नही बढ़ रहा है।