पूर्वी उप्र में नेपाल से पानी के साथ आने वाले सांपों से दहशत

लखनऊ। नेपाल के बांधों से छोंड़े गए पानी से उप्र का पूर्वी इलाके बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ के कारण नेपाल से भारी संख्या में सांप भी आ गए है। नेपाल से सटे बहराइच व गोंडा जिलों में भारी संख्या में सांपों के आ जाने से लोग डरे हुए है। गोंडा के डीएम जेबी सिंह ने बताया कि सांपों के आने की घटना अप्रत्याशित रूप से सामने आयी है। वन विभाग और पशुपालन विभाग को एनडीआरएफ टीम के साथ लगाया जा रहा है। एंटी स्नेक्स इंजेक्शन हर राहत केन्द्र पर रखवाये जा रहे हैं। लखनऊ। नेपाल के बांधों से छोंड़े गए पानी से उप्र का पूर्वी इलाके बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ के कारण नेपाल से भारी संख्या में सांप भी आ गए है। नेपाल से सटे बहराइच व गोंडा जिलों में भारी संख्या में सांपों के आ जाने से लोग डरे हुए है। गोंडा के डीएम जेबी सिंह ने बताया कि सांपों के आने की घटना अप्रत्याशित रूप से सामने आयी है। वन विभाग और पशुपालन विभाग को एनडीआरएफ टीम के साथ लगाया जा रहा है। एंटी स्नेक्स इंजेक्शन हर राहत केन्द्र पर रखवाये जा रहे हैं।  पूर्वी उप्र के गोरखपुर व उसके आसपास की बड़ी आबादी बाढ़ की जद में है। झंगहा-बोहरा बांध और बिनहा रिंग बांध भी टूट गया। गोरखपुर में ही रेलवे पुल के पास मिट्टी बैठ गई है। इस कारण गोरखपुर-बढ़नी रूट पर ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है। राप्ती का पानी बढ़ता ही जा रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वाराणसी और लखीमपुर से 20 नावें और स्टीमर मंगाए गए हैं। एनडीआरएफ के 30 और जवान गोरखपुर पहुंच चुके हैं। प्रशासन ने आसपास के अन्य जिलों से भी मदद मांगी है। रेलवे ने गोरखपुर से जगतबेला तक ऐतिहातन पेट्रोलिंग शुरू करा दी है। एयरफोर्स की हेलीकॉप्टर टीम मदद में लग गई है।  मुख्य अभियन्ता (गण्डक) गोरखपुर के अनुसार गोरखपुर में रोहिन तथा बस्ती में घाघरा खतरे के निशान से 224 सेमी एवं 95 सेमी ऊपर बह रही है। हावर्ट बांध एवं गोरखपुर में राप्ती नदी पर बने तटबंध की स्थित अत्यंत गंभीर है। प्रशासनिक एवं विभागीय स्तर पर कदम उठाये गये है तथा चौबिसों घण्टें पेट्रोलिंग भी किया जा रहा है। क्षतिग्रस्त तटबंधों का मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। बड़ी गण्डक कुशीनगर में खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं तथा बलिया में गंगा, घाघरा खतरे के निशान से 102 सेमी. ऊपर बह रही। तटबंध सुरक्षित है। महराजगंज में रोहिन नदी खतरे के निशान से 148 सेमी. ऊपर बह रही है। बाढ़ बचाव कार्य कराया जा रहा है तथा क्षतिग्रस्त तटबंधों को भी ठीक किया जा रहा है।मुख्य अभियन्ता (पूर्वीगंगा) मुरादाबाद के अनुसार बदायूँ में गंगा नदी पर बना जौरीनगला तटबंध संवेदनशील है किन्तु सुरक्षित है तथा गंगा महावा तटबंध में कटान हुआ है।     मुख्य अभियन्ता सरयू प्रथम, (शारदा सहायक) के अनुसार बाराबंकी एवं गोण्डा में घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बहराइच, बलरामपुर में राप्ती खतरे के निशान से नीचे बह रही है तथा तटबंध सुरक्षित है। लखीमपुर, पीलीभीत, सीतापुर तथा शाहजहांपुर सभी तटबंध सुरक्षित है।