रिमोट सेंसिग विभाग का हाल: राज्य सरकार के निर्देश नहीं मानते वैज्ञानिक

 

 

लखनऊ। यूपी सरकार के अधीन रिमोट सेंन्सिग एप्लीकेशन्स सेन्टर में राज्य सरकार के निर्देशों के बावजूद वैज्ञानिकों को मनमाने ढंग से अन्तरिक्ष विभाग/इसरो, भारत सरकार के समान वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधायें देकर राज्य सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये की हानि पहुॅंचाई जा रही हैं। मालूम हो कि वर्ष 1982 में स्थापित इस सेन्टर में सभी कार्मिकों हेतु राज्य सरकार के समान वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधायें लागू थीं। सेन्टर के मैमोरण्डम एवं रूल्स आफ एसोसियेशन के तहत प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा सामान्य सेवा नियमावली-1985 अनुमोदित करने के पश्चात् सेन्टर की इस नियमावली में प्राविधानित सेवा शर्तो के अनुसार वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष विभाग/इसरो, भारत सरकार के समान तथा अन्य कार्मिकों को राज्य सरकार के समान वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाये अनुमन्य की जा रही थीं।
सेन्टर के कार्मिकों को अनुमन्य वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाओं के व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन करने के कारण प्रमुख सचिव-वित्त की अध्यक्षता में गठित समिति ने दि. 04.09.2000 बैठक में लिये गये निर्णय के परिपेक्ष्य में शासन ने यह निर्देश जारी किया था कि सेन्टर सामान्य सेवा नियमावली- 1985 में तत्काल उन प्राविधानों को हटा दे, जिनमें वैज्ञानिकों/तकनीकीविदों को वेतन आदि अन्य भत्तों तथा सुविधाओं में अन्तरिक्ष विभाग/इसरो, भारत सरकार की समानता है और यह प्राविधानित करे कि केन्द्र के वैज्ञानिकों/तकनीकीविदों को भी वही वेतन आदि अन्य भत्ते तथा सुविधायें प्राप्त होंगी, जिन्हें समय-समय पर राज्य सरकार के द्वारा अनुमोदित किया जाये। शासन ने सेन्टर संशोधित सेवा नियमावली शासन में अनुमोदन हेतु प्रेषित की जाने के भी निर्देश दिये थे। शासन के निर्देश के बाद 09.11.2004 को केन्द्र की प्रबन्धकारिणी समिति ने भी सेन्टर की सामान्य सेवा नियमावली- 1985 मे वॉंछित संशोधन करने एवं शासन में अनुमोदन हेतु प्रेषित करने के निर्देश दिये थे। शासन के पत्र दिनॉंक 29 जनवरी 2013 में प्राप्त निर्देशों के बाद केन्द्र की प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा दिनॉंक 26 फरवरी 2013 को सामान्य सेवा नियमावली-1985 से अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार के समान वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को हटाकर राज्य सरकार के समान प्राविधानों समाविष्ट करके संशोधित सामान्य सेवा नियमावली-1985 अनुमोदित कर दी गई थी एवं इसे अविलम्ब शासन में अनुमोदन हेतु प्रेषित करने के निर्देश दिये गये थे। सेन्टर में आज तक इस नियमावली को प्रभावी नहीं किया गया है न ही इसे शासन से अनुमोदित ही कराया गया है। शासन ने पत्र 15 अक्टूबर 2009 में वर्तमान कार्यरत वैज्ञानिकों को पूर्व सेवा शर्तों वैयक्तिक रूप से अनुमन्यता हेतु यह निर्देशित किया था कि सम्बन्धित पदो ंके साथ जुड़ी सेवा शर्तें वही होंगी जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाये। सेन्टर में शासन के पत्र दि0 15 अक्टूबर 2009 के निर्देश के तहत यात्रा व दैनिक भत्ता को राज्य सरकार से निर्धारित कराया गया है, मकान किराया, वाहन भत्ता, पदोन्नति आदि सेवा शर्तों को राज्य सरकार से निर्धारित नहीं कराये गये हैं।
सेन्टर में शासन एवं प्रबन्धकारिणी समिति के निर्देशानुसार कार्यवाही न करके मनमाने ढंग से वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार के समान सुविधायें अनुमन्य कर राज्य सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये की हानि पहुॅंचाई जा रही हैं। यही नहीं तथ्यों को छुपाकर वर्ष 2014 में 30 एवं 2017 में 28 वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार के समान पिछली तिथियों से पदोन्नतियॉं भी प्रदान कर दी गई हैं। सेन्टर के कार्यवाहक निदेशक जो स्वयं वैज्ञानिक हैं, उनके द्वारा भी अन्तरिक्ष विभाग की सुविधाये ली जा रही हैं। सेन्टर में हो रहे अनियमित भुगतानों के सम्बन्ध में जगदीश चन्द्र राजानी के आपत्ति करने पर राजानी को लेखाधिकारी के दायित्व से पृथक एवं निलम्बित कर दिया गया है। इस बारे में सीएम से शिकायत भी की गयी है। मौजूदा प्रकरण पर जब विभाग के प्रमुख सचिव हेमंत राव से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।