गोरखपुर में अब तक 1284 बच्चों की मौत

लखनऊ। पूर्वी उप्र के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में इस साल 30 अगस्त तक इंसेफ्लाइटिस, एनआईसीयू तथा सामान्य चिल्ड्रेन वार्ड में कुल 1284 बच्चों की मौत हो चुकी है। 31 अगस्त के आंकड़े रात 12 बजे जारी होगें। 1 अगस्त से 30 अगस्त के दौरान 324 बच्चों की मौत हुई है। इनमें ज्यादातर मौतें एनआईसीयू और इंसेफ्लाइटिस वार्ड हुई हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर पी के. सिंह के मुताबिक जापानी बुखार से होने वाली बच्चों की मौत में पिछले वर्षो से कमी आयी है, लेकिन एनआईसीयू में ज्यादा गंभीर हालत वाले बच्च आते हैं, जिनमें समय से पहले जन्मे, कम वजन वाले, पीलिया, निमोनिया और संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त बच्चे इलाज के लिए आते हैं, जबकि इंसेफलाइटिस से पीडि़त बच्चे भी ऐन वक्त पर इसी अस्पताल में गंभीर स्थिति में पहुचते हैं। उन्होंने कहा कि अगर बच्चे समय से इलाज के लिए आयें तो बड़ी संख्या में नवजात बच्चों की मौत रोकी जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले में बच्चों की मौतों से कोहराम मचा हुआ है। पिछले दिनों ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के बाद से विपक्ष ने सरकार को घेर रखा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में बच्चों की मौत के मामले पर नौ याचिकायें दाखिल की गई हैं। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव को अस्पताल की सुविधाओं का निरीक्षण कर 12 सितंबर को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोंसले व जस्टिस एमके गुप्ता की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, निरीक्षण में मौत का कारण जानना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि डाक्टरों की टीम युद्ध स्तर पर इस जानलेवा बीमारी का सफाया करे। वहां हर वर्ष हजारों बच्चों की मौत बेहद चिंताजनक है। गौरतलब है कि 2005 में अकेले जेई से 937 बच्चों की मौत के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से एसजी पीजीआई के डाक्टरों की टीम ने पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट को सौंपी थी। जिसके बाद कोर्ट के निर्देश पर जेई की रोकथाम के लिए हर साल टीकाकरण करने के साथ अलग वार्ड भी बना था। याद रहे कि 1978 से 2016 तक मेडिकल कालेज में अकेले जेई से 9604 बच्चों की मौतें हुई है। किसी एक साल में जेई से सबसे ज्यादा 937 मौतें 2005 में सपा के सरकार के दौरान हुई थी।