कमासिन देवी: चरवाहे को आया सपना, स्थापित हुई मूर्ति

रायबरेली। सलोन की ग्रामपंचायत दरसवां मे आदि शक्ति सिद्धपीठ के रूप मे स्थित माँ कमासिन देवी का प्राचीन मंदिर वर्षो से स्थानीय नागरिको वा श्रधालु भक्तो की आस्था वा विस्वास का प्रतीक रहा है.यहा प्रतिवर्ष नवरात्र के अवसर पर लाखो की संख्या मे श्रधालु भक्तगण आस्था और विस्वास के साथ मन मे मुरादे लेकर माँ के दरबार मे हाजिरी लगाने आते है.भक्तो वा स्थानीय लोगो का मानना है जो भी भक्त सच्चे मन से माँ के दरबार मे हाजिरी लगाते माँ उनकी मुरादे जरूर पूरी करती है.वैसे तो यहा प्रतेक शुक्रवार वा सोमवार को भी क्षेत्रीय भक्तो का तांता लगा रहता है परंतु नवरात्री के दिनो मे सुदूर क्षेत्रो से भी लाखो भक्त माँ के दर्शन को आते है. मंदिर के संरक्षक- पंडित सुभाषचन्द्र शर्मा(दिल्ली वाले) ने बातचीत के दौरान उक्त प्राचीन सिद्धपीठ के बारे मे प्रचलित कहानी का वर्णन करते हुए बताया की लोगो का कहना है की वर्षो पहले इस स्थान पर एक घना जंगल था वर्षो पूर्व उसी जंगल मे इसी स्थान पर पडोस के गाँव के चरवाहे को माँ की यह प्राचीन भव्य मूर्ति प्राप्त हुई थी.जिसकी जानकारी स्थानीय कान्हवंश स्टेट के राजा को होने पर उन्होने माँ की इस मूर्ति को अपने महल के प्रांगण मे स्थापित करना चाहा था परंतु रात मे ही राजा को माँ कमासिन देवी ने दर्शन देकर जहा मूर्ति प्राप्त हुई थी उसी जगह पर स्थापित करने का निर्देश दिया था.जिसपर राजा ने इसी जगह माँ की मूर्ति की स्थापना करवा दी थी.तब से स्थानीय लोगो की आस्था और विस्वास माँ के दरबार मे बना हुआ है. स्थानीय श्रधालु भक्तो द्वारा कमेटी बना कर मंदिर परिसर का जीर्नोउद्धार कराया गया तथा वर्तमान मे मंदिर प्रांगण मे ही विशाल पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना कर पंचमुखी कामेश्वर महराज के भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है.