योगी सरकार के 10 मंत्रियों की हो रही है स्कैनिंग

 

विशेष संवाददाता, लखनऊ। यूपी सरकार के छह महीने का कार्यकाल पूरा करने वाली योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के 10 मंत्रियों के कामकाज पार्टी के राडार पर है। इन मंत्रियों के कामकाज की गहन समीक्षा हो रही है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी की निगाह मंत्रियों के काम काज के तरीके पर है, लापरवाह और ढीले मंत्रियों को हटाये जाने और नये तेजतर्रार विधायकों को मौका देने पर विचार हो रहा है। फिलहाल इस पर कोई ठोस फैसला नही हुआ है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि छह महीने के दौरान मंत्रिमंडल के जिन मंत्रियों का कामकाज अच्छा है उनमें उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या व डा. दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, रीता बहुगुणा जोशी, डा.महेंद्र सिंह कामकाज के मामले में बेहतर की श्रेणी में है। जबकि विवादित मुद्दे पर चर्चा में आये मंत्रियों में स्वामी प्रसाद मौर्या, स्वाति सिंह, अनुपमा जायसवाल, ओम प्रकाश राजभर, धर्मपाल सिंह, मोहसिन रजा सहित कई शामिल है।
पार्टी के लिए चिंता की बात है कि ठोस उपलब्धियों के मामले में कुछ मंत्रियों को छोड़ कर बाकी कुछ खास नही कर सके है। कई मंत्रियों की चर्चा विभाग में कामकाज के बजाए दूसरी चीजों में दिलचस्पी सामने आयी है। कुछ मंत्री तबादलों में अत्यधिक रूचि के कारण चर्चा में आये तो कई की रूचि ठेके पट्टे में रही है। एक मंत्री की फाइल पर दर्ज विवादित टिप्पणी का मामला मुख्यमंत्री के सामने पहुंचा था। विभागों में आपेक्षित प्रदर्शन न होने से पार्टी ऐसे मंत्रियों की जगह नये लोगों को मौका दे सकती है। जिसमें पश्चिमी उप्र के युवा विधायक को भी मौका दिये जाने पर चर्चा हो रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मंत्रियों के काम और तौर तरीकों की रिपोर्ट कार्यकर्ताओं से मिल रही हैै। हाईकमान को भी मंत्रिमंडल के कामकाज की पूरी जानकारी है।
प्रदेश सरकार के छह महीने पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी ने मंत्रियों के कामकाज के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए कहा था कि मंत्री अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहें है। उन्होने अपनी सरकार को शत प्रतिशत नंबर भी दिये थे। जबकि पार्टी में इस बात की सुगबुगाहट है, कि कुछ मंत्री विभागों को संभालने व रिजल्ट देने में पूरी तरह कामयाब नही है। कुछ मंत्रियों की शिकायत पार्टी हाईकमान तक की गई है। सांसदों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक में भी मंत्रियों के कामकाज को लेकर चर्चा हो चुकी है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय असंतुलन को लेकर भी चर्चा है। पार्टी इसे दूर करना चाहती है। अकेले लखनऊ से सबसे ज्यादा 7 मंत्री है। जबकि बुंदेलखंड, मध्य उप्र और पश्चिमी उप्र से मंत्रियों का प्रतिनिधित्व कम है। पार्टी प्रदेश में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिहाज से भी बदलाव पर विचार कर रही है। फिलहाल मंत्रिमंडल में 25 अगड़े, 15 पिछड़े, 5 दलित, 1 मुस्लिम और एक सिख को शामिल किया गया है। जबकि उप्र में 54 प्रतिशत पिछड़ी आबादी है। अगड़ों में ब्राह्मण 7, ठाकुर 8, वैश्य 4, भूमिहार 2, खत्री 3 और 1 कायस्थ मंत्री है। पिछड़ों में 3 कुर्मी, 2 मौर्य, 2 लोध, 2 जाट, 2 राजभर, 1-1 नोनिया चौहान, निषाद, सैनी और यादव मंत्री हैं। विधानसभा चुनाव में सहयोगियों के साथ 325 सीटें जीतने वाली भाजपा सरकार ने 19 मार्च को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। जिसमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डा.दिनेश शर्मा समेत 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। जिसमें 22 कैबिनेट, नौ स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री तथा 13 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली थी।