महोबा। दिल्ली में जिस कुतुबुद्दीन ऐबक ने नायाब कुतुबमीनार बनवाई, उसी कुतुबुद्दीन ऐबक ने महोबा का अद्भुत सूर्य मंदिर नष्ट कर दिया। दिल्ली का हीरो महोबा का खलनायक बन गया। जिस तरह उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी अनूठी स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में मशहूर है, महोबा का सूर्य मंदिर भी मशहूर था। चंदेल राजा राहिल देव वर्मन ने सन 890 ईस्वी में खजुराहो की तरह ही पंचायतन शैली में ग्रेनाइट पत्थरों से इस सूर्य मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था जो सन् 915 तक चला। सूर्य भगवान के अलावा यहां शिव, विष्णु, गणेश व शक्ति की मूर्तियां भी स्थापित करायीं गयीं। यज्ञ के लिए बगल में सूरज कुंड बनवाया गया। राहिल सागर के तट पर बने इस मंदिर का भव्य स्वरूप लेकिन मुगल शासक कुतुबुद्दीन ऐबक से न देखा गया। उसने महोबा आकर पूरे मंदिर को तहस-नहस कर दिया। मूर्तियां खंडित कर दी। खजुराहो जाकर वहां के मंदिर तोड़ दिये। कुतुबुद्दीन ने तो केवल मंदिर तोड़े थे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सूर्य मंदिर का नाम पूरी तरह खत्म करने पर उतारू है। उसने हाल में मंदिर के बाहर जो पत्थर लगाया है, उसमें सिर्फ रहलिया मंदिर लिखा है, सूर्य भगवान को गायब कर दिया है। ये बेहद दुखद है। हम चाहते हैं कि सूर्य मंदिर का वैभव फिर से लौटे और वह महोबा की शान बने लेकिन ये कैसे होगा।