आरएसएस का नया प्लान: युवाओं को जोडऩे के लिए मिलन

 

 

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने युवाओं को बड़े पैमाने पर संगठन से जोडऩे के लिये तीन वर्ष का खाका तैयार किया है जिसमें 15 वर्ष से कम आयु के तरूणों को नियमित शाखा से जोडऩे और 15 वर्ष से अधिक आयु के किशोरों के लिये साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम की पहल को तत्परता से आगे बढ़ाया जायेगा ।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि समाज में संघ का कार्य बढ़ा है। संघ कार्य के विस्तार में युवाओं की बड़ी भूमिका है। संघ का एक प्रकल्प है ‘ज्वॉइन आरएसएस’ , जिसके माध्यम से बड़ी संख्या में टेक्नोसेवी युवा संघ से जुड़ रहे हैं। ज्वॉइन आरएसएस के माध्यम से जुडऩे वाले युवाओं की संख्या में 2015 की तुलना में 2016 में 48 प्रतिशत और 2017 में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । यह सभी आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं जिनमें 20 से 35 आयु वर्ग के युवकों की संख्या अधिक है ।
कुछ राजनीतिक दलों के, आरएसएस से युवाओं के दूरी बनाने के दावों को खारिज करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देशभर में अपनी शाखाओं के बारे में आंकड़ों के माध्यम से जोर दिया कि पिछले वर्षो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य, शाखाओं की संख्या और युवाओं के सहयोग में लगातार वृद्धि हुई है । आरएसएस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष संघ की शाखा के स्थानों की संख्या में 550 की वृद्धि हुई है । वर्तमान में 34 हजार से अधिक स्थानों पर प्रतिदिन शाखा और 15 हजार से अधिक स्थानों पर साप्ताहिक मिलन संचालित हो रहे हैं। अर्थात लगभग 49 हजार 493 स्थानों पर शाखा और मिलन के माध्यम से समाज में संघ कार्य चल रहा है ।
संघ के पदाधिकारी ने बताया कि संघ ग्राम विकास , कुटुम्ब प्रबोधन और सामाजिक समरसता जैसी गतिविधियां संचालित कर रहा है। संघ कार्यकर्ताओं के प्रयासों से लगभग 450 गाँवों में उल्लेखनीय बदलाव आया है । संघ मानता है कि परिवार समृद्ध और सुदृढ़ होंगे तो राष्ट्र भी समर्थ बनेगा । इस विचार को लेकर संघ के कार्यकर्ताओं ने 15 वर्ष पूर्व कर्नाटक में कुटुम्ब प्रबोधन का प्रयोग प्रारंभ किया । आज यह प्रयोग पूरे देश में चलाया जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं । उनका कहना है कि कुटुम्ब प्रबोधन का महत्व समझने के लिए सबको डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की एक पुस्तक पढऩी चाहिए , जो कुटुम्ब प्रबोधन के विषय पर उनके और जैन संत आचार्य महाप्रज्ञ के साथ संवाद पर आधारित है । इस पुस्तक में पारिवारिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण पर अच्छा मार्गदर्शन है ।