शिंजो आबे की जीत से मिलेगी दोस्ती को मजबूती

 

 

नई दिल्ली। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की चुनाव में शानदार जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अच्छी खबर है। मोदी के नेतृत्व में भारत और जापान नजदीक आए हैं और अब दोनों कई आर्थिक और सामरिक मुद्दों पर सहयोग की योजना बना रहे हैं। आबे के लिए एक नए कार्यकाल का मतलब है कि मोदी को एक ऐसा सहयोगी मिला है जो उनके लिए काफी अहमियत रखता है।
ऐसे वक्त में जब अमेरिका वैश्विक नेता की अपनी भूमिका से पीछे हट रहा है, चीन नए वैश्विक नेता के तौर पर उभर रहा है। डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका ट्रांस-पैसिफिक पार्टरनशिप से पीछे हट चुका है। एशिया में चीन का दबदबे को जापान या भारत अपने लिए अच्छा नहीं मानते। अगर दोनों साथ आए तो चीन के दबदबे को चुनौती दे सकते हैं। पीएम मोदी की ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए विश्वसनीय सहयोगी की जरूरत है और वह सहयोगी जापान हो सकता है। मोदी एशिया में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को काउंटर करने के लिए अमेरिका की 1 कदम आगे तो 2 कदम पीछे की नीति पर निर्भर नहीं हो सकते। हिंद महासागर में चीनी सेना की बढ़ती मौजूदगी के अलावा मोदी के चीन की वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट भी चुनौती है जो पूरे एशिया में चीन को आर्थिक और रणनीतिक बढ़त दे रही है। आबे के साथ मिलकर मोदी चीन को काउंटर कर सकते हैं। भारत और जापान पहले ही ह्रक्चह्रक्र के जवाब में एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर की योजना बना चुके हैं। जापान को भी भारत के तौर पर रणनीतिक साझेदार की जरूरत है क्योंकि चीन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव के लिए खतरा है। भारत और जापान की साझेदारी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ हिंद महासागर में भी चीन को काउंटर कर सकता है।