गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव में होगी असल परीक्षा

प्रोफेसर सी.पी. सिंह। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जहां केशव व योगी की प्रतिष्ठा जुड़ी है वहीं दूसरी तरफ संगठन व सरकार की लोकप्रियता की भी परीक्षा होनी है। उपचुनाव में किसी कारण भाजपा की हार होती तो योगी व केशव पर उंगली उठने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव – 2019 का परिणाम प्रभावित होगा। पार्टी के आन्तरिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योगी के धूर विरोधी शिवप्रकाश शुक्ला को अमित शाह-नरेन्द्र मोदी की जोड़ी में इनकी आपसी खीचतान को रोकने के लिए ही मंत्री मण्डल में स्थान दिया, वहीं क्षत्रिय ब्राह्मण बिखराव को रोकने के लिए ब्राह्मण जाति के योगी के करीबी राजेश पाण्डेय जो भाजपा के टिकट पर चिल्लूपार से दिग्गज ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के पुत्र से चुनाव हार गये, को भाजपा उम्मीदवार बनाने की चर्चा है। वहीं सपा से किसी निषाद को उम्मीदवार बनाया जाना लगभग तय हैं। सपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर उप चुनाव के लिए सपा किसी प्रभावी बाहरी निषाद को ही उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है। फूलपुर से सपा कुर्मी वोट बैंक को देखते हुए किसी पटेल को उम्मीदवार बनायेगी। पूर्व में चर्चा थी की इस सीट पर मायावती चुनाव लड़ेंगी। लेकिन अपने पुराने ढर्रे पर चलते हुए बसपा ने निर्णय लिया है कि वह गोरखपुर व फूलपुर के उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, जिसका सीधा लाभ सपा को मिलेगा।
गेारखपुर संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता संख्या लगभग 3.70 लाख निषादों की है। इसके बाद अल्पसंख्यकों का 1.75 लाख से अधिक वोट बैंक है। ब्राह्मण, राजपूत, यादव, सैंथवार, की संख्या लगभग बराबर और 1.25 – 1.50 लाख तक है। वैश्य व भूमिहारों का लगभग 1-1 लाख वोट भी निर्णायक है। सपा से राम भुआल निषाद व अमरेन्द्र निषाद सपा उम्मीदवार बनने के लिए हाथ पैर मार रहें हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी नेतृत्व आन्तरिक सूत्रों की रिपोर्ट पर इन्हें उम्मीदवार नहीं बनाने का निर्णय लिया है। वैसे गोरखपुर से सपा किसी निषाद को ही उम्मीदवार बनाने का मन बनाया है। स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों ने नेतृत्व के सामने रिपोर्ट देते हुए बताया है कि राम भुआल या अमरेन्द्र को उम्मीदवार बनाने की स्थिति में केवट व मल्लाहों का बहुमत का वोट इनके साथ नहीं जुटेगा। राम भुआल व इनके अनुज मनोज कुमार निषाद से इनके निषाद समाज में ही काफी नाराजगी है। कारण कि इन लोगों ने कई निषादों की जमीन को गलत तरीके से हड़प लिया है। पार्टी रणनीतिकारों ने सुझाव दिया है कि गोरखपुर से निषाद को ही लड़ाना उपयुक्त रहेगा, पर वह गोरखपुर से बाहर का बड़ा सामाजिक चेहरा हो। कुछ पदाधिकारियों ने निषाद पार्टी के डा0 संजय निषाद को उम्मीदवार बनाने की राय रखा जिसे पार्टी नेतृत्व सीरे से खारिज कर दिया। संजय की छवि नेता की नहीं सौदे बाज की है। पार्टी के कई पदाधिकारियों ने लौटन राम निषाद को गोरखपुर से सपा प्रत्याशी बनाने का सुझाव दिया है।
लौटन राम निषाद लम्बे समय से निषाद आरक्षण व सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते आ रहें हैं। सपा में कोई ऐसा निषाद नहीं है जो भाजपा को उसी के शब्दों में जवाब दे सके और हाजिर जवाब हो। भाजपा को मुंह तोड़ जवाब देने में लौटन राम सक्षम हैं। इनके उम्मीदवार बनने से निषादों का बहुमत इनके साथ तो जुटेगा ही, अतिपिछड़ा वर्ग भी बड़ी संख्या में सपा के साथ आ जायेगा। यादव, मुस्लिम के साथ – साथ दलित स्वभाविक तौर पर सपा के साथ आयेगा। भाजपा किसी भी दशा में गोरखपुर उपचुनाव जितना चाहेगी क्योंकि यह गोरक्षपीठ मठ व योगी की प्रतिष्ठा के साथ ही नहीं प्रधानमंत्री व भाजपा अध्यक्ष की प्रतिष्ठा से भी जुडा हुआ है। और इसके चुनावी परिणाम का प्रभाव लोकसभा के आम चुनाव पर भी पड़ेगा।
एमबीसीए ओपीनियन टीम ने समाजशास्त्री प्रोफेसर सी.पी.सिंह, राजनीतिक विश्लेषक डा0 पी.सी.गुप्ता, डा0 आर एस विश्वकर्मा, आकाश पाण्डेय व शिवशंकर इण्डियन की टीम ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के अतिपिछड़े दलित, निषाद बहुल्य गांव में जनमत संग्रह कराया। जिसमें यह पाया गया कि लौटन राम निषाद को बेहतर समर्थन मिल सकता है। डा0 संजय निषाद निषादपार्टी से उम्मीदवार बनते भी है तो 5 – 10 प्रतिशत केवट वोट काट सकते हैं। राम भुआल की जमीन हड़पने वाले छवि बन गयी है। ओपीनियन टीम ने नौसड़, भरसाड़, गहासाड़, उनवल, कतरारी, खोरठा, बिष्टौली, बेलीपार, डवरपार, भौवापार, भस्मा, कटैया, महावीर छपरा, चारपानी बुर्जुग, चन्दौली, रामपुर, बेलीपार, धनईपुर, भीटी खोरिया, खोराबार, सतुआभार, सहगौरा, महुआडाबर, मोहद्दीपुर, झरना टोला, लच्छीपुर, लक्ष्मीपुर, नवापार, केवटलिया, बसंतपुर, शाहपुर, कटका, कैलीडीह, बेलवादाड़ी, अमटौरा, कोडिय़ा, कूड़ाघाट, नयें गांव, भागलपुर, बरबसपुर, लहसडी, बेलसड़ी, बकहियां, माधवपुर, जंगल कोडिय़ा, आदि सहित 213 गांव का नमूना तैयार किया जिसमें 80-85 प्रतिशत लौटन राम, 5-10 प्रतिशत डा0 संजय कुमार निषाद, 10-13 प्रतिशत अमरेन्द्र निषाद और 8-15 प्रतिशत राम भुआल के पक्ष में निषादों व अतिपिछड़ों ने विश्वास जताया।

समाजशास्त्री व राजनीतिक विशेषज्ञ